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“मैं पैसे नहीं लूँगा, यह तो भीख है। मैं भीख नहीं लूँगा।" इस कथन के आधार पर बालक बसंत का
चरित्र-चित्रण कीजिए।
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दादी ने जब मिठाई वाले से उसके बीते जीवन के बारे में पूछा तो बहुत भावुक हो उठा। उसे अपनी पत्नी और बच्चों की याद आ गई। वह अपने सुंदर संसार को याद करके फूट फूट कर रोने लगा। उसे चुन्नू मुन्नू में ही अपने बच्चों की झलक दिखाई पड़ी। उसने उन्हें कागज की पुड़िया में मिठाई दे दी। इसलिए कहानी के अंत में मिठाई वाले ने ऐसा कहा कि अब इस बार मैं पैसे न लूंगा।
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