Hindi, asked by SurendarSingh, 1 year ago

(I) आदिकाल का नाम किसने दिया।
(II) पृथ्वीराज रासो रचना के रचनाकार का नाम बताइये।
(II) मझन की रचना का नाम बताइये।
(IV) जायसी की प्रमुख रचनाओं के नाम बताइये।
(V) सिद्ध-सामन्त युग नाम किस काल का है तथा किस साहित्यकार ने दिया।
(VI) रीतिकाल को श्रृंगार काल नाम किसने दिया।​

Answers

Answered by priyanshibharti21
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1. आचार्य रामचंद्र शुक्ल

2.चंदबरदाई

3.मधुमालती

4.पद्मावत

5.आदिकाल -राहुल सांकृत्यायन

6.आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र

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Answered by shishir303
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सभी प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार हैं...

(i) आदिकाल को सबसे पहले नाम आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने दिया था।

— आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने आदिकाल को ‘वीरगाथा काल’ का नाम दिया था। उन्होंने इस वीरगाथा काल का नामकरण करते हुए इसका कारण यह बताया कि उस समय इस काल में वीर रस से संबंधित रचनाओं की प्रचुरता थी। इस कालखंड के कवियों ने ऐसी रचनाओं की रचना की थी जो राजाओं के वीरता और उनके शौर्य की गाथाओं से भरी रहती थी। आदिकाल या वीरगाथा काल हिंदी साहित्य के चार प्रमुख कालों में से प्रथम काल है।

(ii) पृथ्वीराज रासो की रचना चंदबरदाई ने की थी।

— चंदबरदाई ने इसमें दिल्ली और अजमेर के शासक पृथ्वीराज चौहान के जीवन और चरित्र का वर्णन किया है। चंदबरदाई पृथ्वीराज चौहान के राजकवि और मित्र भी थे। यह एक छंदात्मक महाकाव्य है। ढाई हजारों पृष्ठों का इस महाकाव्य में 59 सर्ग यानि अध्याय हैं। इसकी रचना 12 वीं शताब्दी में की गई थी।

(iii) मंझन द्वारा लिखित एक रचना का मधुमालती नाम है।

— मधुमालती मंझन सूफी परंपरा के हिंदी कवि थे। जिनके बारे में कोई बहुत विस्तृत वर्णन नहीं मिलता है। उनका समय शेरशाह सूरी के आसपास का समय माना जाता है। मधुमालती की का रचनाकाल भी 1545 ईस्वी के आसपास माना जाता है।

(iv) जायसी की सबसे प्रमुख रचना पद्मावत है।

जायसी जिनका पूरा नाम मलिक मोहम्मद जायसी था, वह हिंदी साहित्य की भक्ति काल के निर्गुण रूपी धारा के कवि थे। उनका कालखंड 1467 से 1542 ईस्वी तक का रहा है। उन्होंने पद्मावत नामक बेहद प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की, जो उनकी लोकप्रियता का सबसे प्रमुख आधार है। इसके अलावा उन्होंने अकरावट, आखिरी कलाम, कहरनामा, चित्ररेखा, कान्हावत आदि अनेक प्रमुख ग्रंथ की रचना की है।

(v) सिद्ध-सामंती युग आदि काल से संबंधित रहा है।

— हिंदी साहित्य के आदिकाल को सिद्ध-सामंत युग का नाम सबसे पहले राहुल सांकृत्यायन ने दिया था।

(vi) रीतिकाल को सबसे पहले आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने श्रृंगार काल नाम दिया था।

— आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने और डॉ नगेंद्र ने रीतिकाल के श्रंगार काल का नाम देने की कोशिश की। उनके अनुसार यह श्रृंगार रस से युक्त ग्रंथो की भरमार के कारण श्रंगार  का काल था। हालांकि आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इसे रीतिकाल ही नाम देना श्रेष्ठ समझा।

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