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जीवन अपना मंदिर है मानव अपना भगवान है
धरती का हर कोना अपना प्यारा हिंदुस्तान है।
लिखता है जो छंद फसल के अपने हल की फाल से
करता है अर्चना धरा की खुरपी और कुदाल से,
बोता है श्रम के खेतों में दाना स्वर्ण विहान का
नयी फसल से भर देता है आँचल जो सुनसान का
उसका सुख, उसका दुख अपनी गीता और कुरान है
उसके चरणों की हर रेखा अपना तीर्थ स्थान है।
उसकी हर आवाज़ हमारी पूजा-पाठ-अजान है।
धरती का हर कोना अपना प्यारा हिंदुस्तान है।
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Mark as brilliant plz mark mark
Explanation:
hey mate I need your help
please mark sa brilliant
mujhe eek batt samajh ni aayi
aapne ye poem likhi h ya aapko padhni h puri poem
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