इ) कथालेखन खाली कथेचा पूर्वार्ध दिला आहे , कथेचा उत्तरार्ध (शेवट) लिहून कथा पूर्ण करा (दिलेली कथा लिहून घेण्याची आवश्यकता नाही) सदा नावाचा एक गरीब मुलगा आपल्या म्हाताऱ्या आजीबरोबर लखीमपूर गावात राहायचा. दिवस कठीण होते, पण सदाच्या मनातील अभ्यासाची ओढ सरली नव्हती कितीही अडचणी आल्या तरी अभ्यास सोडायचा नाही असे त्याने ठरवले होते. सदा रोज पहाटे वर्तमानपत्र टाकायला जायचा,नंतर दोन घरी बागेला पाणी देऊन दुपारी शाळेत जायचा. त्याची म्हातारी आजी तीन-चार घरची धुणीभांडी करायची . असाच एक दिवस तो शाळेत जात होता आणि
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विद्यार्थी जीवन में कई बार हम अनावश्यक परेशानियों की गिरफ्त में आ जाते हैं। हमारी समझ में ही नहीं आता कि परेशानियों से कैसे निपटा जाए। देखा जाए तो कुछ हद तक ये समस्याएं वास्तव में होती हैं जबकि कई बार छात्र इनके होने का भ्रम पाल लेते हैं। परिणामतः हम तनाव में आ जाते हैं और इस तनाव के चलते हम कई बार अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। चूंकि हर छात्र का धैर्य एक सा नहीं होता लिहाजा अधिकांश छात्र-छात्राओं का मन भटकने अथवा टूटने लगता है। उनमें कई तरह की समस्याएं खासकर एग्जाम फीवर स्ट्रेस व एंग्जाइटी, सिरदर्द या माइग्रेन की शिकायत, नींद गायब हो जाना, भूख न लगना, स्वभाव में चिढ़चिढ़ापन, आंखों व पेट की परेशानी आदि सामने आ जाती हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि पैरेंट्स इन समस्याओं को बच्चे का बहाना समझने लगते हैं। सम्भव है कुछ छात्र ऐसा जान-बूझकर करते हों, पर ये समस्याएं हकीकत में होती भी हैं, इसलिए इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि आप तनाव का शिकार हैं तो इसका समाधान भी आप स्वयं ही हो सकते हैं। किसी भी परेशानी का समाधान मुश्किल नहीं होता बशर्ते आप स्वयं सोचें कि आपसे गल्ती कहां हुई है।
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