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मुझे नहीं लगता, कोई इस सोये हुए पक्षी को जगाना चाहेगा । वर्षों पूर्व, खुद सालिम अली ने कहा था,
कि लोग पक्षियों को आदमी की नज़र से देखना चाहते हैं । यह उनकी भूल है, ठीक उसी तरह, जैसे
जंगलों और पहाड़ों, झरनों और आबशारों को वे प्रकृति की नज़र से नहीं, आदमी की नज़र से देखने को
उत्सुक रहते हैं। भला कोई आदमी अपने कानों से पक्षियों की आवाज़ का मधुर संगीत सुनकर अपने
भीतर रोमांच का सोता फूटता महसूस कर सकता है ?
1) ‘सोये हुए पक्षी' से लेखक का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
2) सालिम अली पक्षियों को किन नज़रों से देखने को आकांक्षी थे और क्यों ?
3) लोग प्रकृति को किन नज़रों से देखने को उत्सुक रहते हैं, सालिम अली का नज़रिया अन्य लोगों से
किस प्रकार भिन्न था ? लिखिए।
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Sach a big passage you write it i can't believe
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sach me ye bhoot help ful hai
thank you so much
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