(i) मेरे नाना पक्के माने जाते थे
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मेरे नाना पक्के माने जाते थे
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मेरे नाना पक्के माने जाते थे।
मेरे नाना पक्के ...साहब... माने जाते थे
व्याख्या :
‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका ‘मृदुला गर्ग’ के नाना पक्के साहब माने जाते थे, क्योंकि वह भले ही जात से हिंदुस्तानी थे, लेकिन उनका चेहरा-मोहरा, रंग-ढंग, पढ़ाई-लिखाई सब अंग्रेजों जैसे थे। लेखिका के नाना विदेश जाकर बैरिस्टरी की पढ़ाई करके आए थे और विदेश से वापस आने के बाद उन्होंने अंग्रेजी रहन-सहन अपना लिया था। वह अंग्रेजों की जीवन शैली के बड़े प्रशंसक थे।
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