I need a poem in hindi on Mitti or Dhool. Any suggestions?
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मेरी मिट्टी पुकारती मुझको,
लौट आओ मेरे आँचल में ;
तेरी आंखे सूनी सूनी हैं,
आजा भर दूं इनको काजल से,
मेरी गलियां पुकारती मुझको
लौट आ तू मेरी राहों में ;
उड़ती धुल मुझसे कहती है,
सिमट जा आज मेरी बाहों में!
ये खड़े पेड़ मुझसे कहते हैं,
मुझे तुझ से बात करनी है;
ज़रा पास से गुजर जा तू,
मैं जड़ हूँ तू मेरी टहनी है;
हवाओं ने कहा चुपके से,
ये रात सहमी सहमी है;
तेरा इंतज़ार है मुझको,
मुझे तुझ से बात करनी है!
लौट आओ मेरे आँचल में ;
तेरी आंखे सूनी सूनी हैं,
आजा भर दूं इनको काजल से,
मेरी गलियां पुकारती मुझको
लौट आ तू मेरी राहों में ;
उड़ती धुल मुझसे कहती है,
सिमट जा आज मेरी बाहों में!
ये खड़े पेड़ मुझसे कहते हैं,
मुझे तुझ से बात करनी है;
ज़रा पास से गुजर जा तू,
मैं जड़ हूँ तू मेरी टहनी है;
हवाओं ने कहा चुपके से,
ये रात सहमी सहमी है;
तेरा इंतज़ार है मुझको,
मुझे तुझ से बात करनी है!
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जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ हैतूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ हैजिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा हैजो रवि के रथ का घोड़ा हैवह जन मारे नहीं मरेगानहीं मरेगा
जो जीवन की आग जला कर आग बना हैफौलादी पंजे फैलाए नाग बना हैजिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा हैजो युग के रथ का घोड़ा हैवह जन मारे नहीं मरेगानहीं मरेगा।
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जो जीवन की आग जला कर आग बना हैफौलादी पंजे फैलाए नाग बना हैजिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा हैजो युग के रथ का घोड़ा हैवह जन मारे नहीं मरेगानहीं मरेगा।
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तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है
जो रवि के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा
जो जीवन की आग जला कर आग बना है
फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है
जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है
जो युग के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा।