I need subhadra kumari's biography in Hindi
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हिंदी भाषाओं की महान प्रतिभाशी कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) का जन्म नागपंचमी के दिन इलाहाबाद के निकट निहालपुर नामक गाँव में हुआ था | इनके पिता का नाम निमा रामनाथ सिंह था जो एक जमींदार थे | इन्होने देश ,समाज जनजीवन एवं राष्ट्र से जुडी अपनी भावनाओं को नैसर्गिकता से प्रकट किया है | इनके काव्य स्वर की यह विशिष्टता है कि उसमे जो आवेग समाया है वह एक नारी की सहज भाव वृति से प्रस्फुटित ऊष्मा से सराबोर है | बाल्यकाल से ही वे कविताये रचने लगी थी | उनकी रचनाये राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण है |
देश, प्रेम राष्ट्रबोध के आलावा समाज के सहज जीवन प्रसंग इनकी कविताओं के केंद्र में है | उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए पर उनकी प्रसिद्धि झांसी की रानी कविता के कारण है | राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवियत्री रही है किन्तु इन्होने अनेक बार जेल यातनाये सहने के पश्चात अपनी अनुभूतियो को कहानी में व्यक्त किया | सुभद्रा कुमारी (Subhadra Kumari Chauhan )एक सम्भ्रान्त पारिवारिक पृष्टभूमि की महिला थी | इनका पारिवारिक जीवन सुखी और समृद्ध था | इनकी चार बहने और दो भाई थे | उनके पिता ठाकुर रामनाथ सिंह शिक्षा के प्रेमी थे और उन्ही की देखरेख में उनकी प्रांरभिक शिक्षा भी हुयी |
1919 में खंडवा के ठाकुर लक्ष्मणसिंह के साथ विवाह के बाद वे जबलपुर आ गयी थी | 1921 में गांधीजी के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने वाली वह प्रथम महिला थी | वे दो बार जेल भी गयी थी | सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) की जीवनी इनकी पुत्री सुधा चौहान ने “मिला तेज से तेज” नमक पुस्तक में लिखी है | इसे हंस प्रकाशन इलाहाबाद ने प्रकाशित किया है | वे एक रचनाकार होने के साथ साथ स्वाधीनता संग्राम की सेनानी भी थी | डा.मंगला अनुजा की पुस्तक सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) उनके साहित्यिक एवं स्वाधीनता संघर्ष के जीवन पर प्रकाश डालती है | साथ ही स्वाधीनता आन्दोलन में उनके कविता के जरिये नेतृत्व को भी रेखांकित करती है | 15 फरवरी 1948 को एक कार दुर्घटना में उनका आकस्मिक निधन हो गया था |