Hindi, asked by mona2002, 1 year ago

I need summary of story mantra by premchand in hindi. Pls its urgent

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Answered by ishaagrawal
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मंत्र - मुंशी प्रेमचंद 

एक शाम डॉक्टर चड्ढा के गोल्फ खेलने का समय था | उसी समय एक बूढ़ा एक डोली के पीछे पीछे आया और मरीज को देखने की गुजारिश की | मगर डॉक्टर साहब ने ऐसे ऐसे बदहाल बड़े देखे थे और अपनी नियम के पक्के थे , उन्होंने मरीज देखने से मना कर दिया | बूढ़े के पाँव पड़ने, पगड़ी तक रख देने का असर डॉक्टर साहब पर न हुआ और वे अपनी मोटर में बैठे चले गए | बूढ़ा समझ चुका था की उसका सात वर्षीय बेटा अब न बचेगा | उनके छः बच्चों का देहांत हो चुका था और अब वो आखिरी सहारा भी चला गया | बूढ़ा बूढी किसी तरह गुजर बसर करते, सूखी लकड़ियाँ इकट्ठी करते, रस्सी बेचता नहीं तो उधार पर समाना लाता| उसका शरीर कमजोर हो चुका था और अस्सी की उम्र हो चली थी | कोई पीछे रोने वाला न था तो वे बस अपनी मौत का इंतजार कर रहे थे |
उधर डॉक्टर चड्ढा खूब नाम और शोहरत कमा चुके थे | उनके दो बच्चे थे | एक लड़की जिसकी शादी हो चुकी थी और एक बेटा कैलाश जो बहुत होशियार था | उसे सांप पालने का बड़ा शौक था और जड़ी इकट्ठी करने का | जब वह बीस वर्षों का हुआ तो शानदार पार्टी रखी गयी जिसमें डॉक्टर चड्ढा के दोस्त और कैलाश के भी दोस्त थे | उसकी प्रेमिका मृणालिनी ने सांप दिखाने को कहा जिसे उसने मना कर दिया | पर दोस्तों के टिपण्णी करने और चढ़ा देने से वह तैयार होगया | एक एक डब्बा खोल सांप दिखाने लगा फिर किसी ने कहा की सांप के दात तोड़ दिए गए होंगे पर कैलाश का घमंड हावी हुआ और उसने कहा की वह सांप के दात तोड़कर उन्हें काबू में नहीं करता , वे उसके पालतू हैं | एक सबसे जहरीले सांप को उठाया और उसे जोर से दबाया , सांप ने भी कैलाश का यह व्यवहार पहली बार देखा था और गुस्से से पागल हो गया | थोड़ी पकड़ ढीली होने पर सांप ने कैलाश की ऊँगली को डस लिया | कैलाश की जडियों में से एक लाकर घिस कर लगाया गया पर कोई असर नहीं हुआ | किसी ने झाड़ फूंक करने वाले को बुलाने को कहा | डॉक्टर चड्ढा ने कहा की वे अपनी सारी संपत्ति उसके क़दमों में रख देंगे बस उनके बेटे को बचा ले | एक आदमी भगत के पास गया और उसे सारी बात बताई , भगत ने जाने से मना कर दिया | सारी जिंदगी निस्वार्थ सबकी जान बचायी थी उसने पर वह उस आदमी की मदद नहीं करना चाहता था क्योंकि डॉक्टर चड्ढा ने उस समय उसकी मदद न की थी जब वो अपने सात वर्षीय जाते हुए बेटे को डोली में लेकर गया था | पर उसके दिल पे बोझ सा था , वह आखिर उठ ही गया और डॉक्टर साहब के बंगले की तरफ गया और फिर देखा की काफी भीड़ जमी थी और अब वे सब मेहमान कैलाश को मरा समझ कर लौट रहे थे | बूढ़े ने कहा अभी देर नहीं हुई है और उसे नहलाने के लिए कहा , सब पानी भर भर कर उसे नहलाने लगे और वो मंत्र पढता गया फिर जब कैलाश की आंख खुली तो सबकी ख़ुशी का ठिकाना न हुआ | डॉक्टर साहब जब भगत को ढूँढने लगे तो वह कही न मिला , वो घर जा चुका था | अपनी बीवी से कहा की वह वही है जो एक दिन मेरे दरवाजे पर मदद के लिए आया था और मैंने उसकी मदद नहीं की , वो एक बड़ी सीख दे गया था | 

ishaagrawal: Thank you Mona.
Answered by oajjastanand
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Answer:

एक शाम डॉक्टर चड्ढा के गोल्फ खेलने का समय था | उसी समय एक बूढ़ा एक डोली के पीछे पीछे आया और मरीज को देखने की गुजारिश की | मगर डॉक्टर साहब ने ऐसे ऐसे बदहाल बड़े देखे थे और अपनी नियम के पक्के थे , उन्होंने मरीज देखने से मना कर दिया | बूढ़े के पाँव पड़ने, पगड़ी तक रख देने का असर डॉक्टर साहब पर न हुआ और वे अपनी मोटर में बैठे चले गए | बूढ़ा समझ चुका था की उसका सात वर्षीय बेटा अब न बचेगा | उनके छः बच्चों का देहांत हो चुका था और अब वो आखिरी सहारा भी चला गया | बूढ़ा बूढी किसी तरह गुजर बसर करते, सूखी लकड़ियाँ इकट्ठी करते, रस्सी बेचता नहीं तो उधार पर समाना लाता| उसका शरीर कमजोर हो चुका था और अस्सी की उम्र हो चली थी | कोई पीछे रोने वाला न था तो वे बस अपनी मौत का इंतजार कर रहे थे |

उधर डॉक्टर चड्ढा खूब नाम और शोहरत कमा चुके थे | उनके दो बच्चे थे | एक लड़की जिसकी शादी हो चुकी थी और एक बेटा कैलाश जो बहुत होशियार था | उसे सांप पालने का बड़ा शौक था और जड़ी इकट्ठी करने का | जब वह बीस वर्षों का हुआ तो शानदार पार्टी रखी गयी जिसमें डॉक्टर चड्ढा के दोस्त और कैलाश के भी दोस्त थे | उसकी प्रेमिका मृणालिनी ने सांप दिखाने को कहा जिसे उसने मना कर दिया | पर दोस्तों के टिपण्णी करने और चढ़ा देने से वह तैयार होगया | एक एक डब्बा खोल सांप दिखाने लगा फिर किसी ने कहा की सांप के दात तोड़ दिए गए होंगे पर कैलाश का घमंड हावी हुआ और उसने कहा की वह सांप के दात तोड़कर उन्हें काबू में नहीं करता , वे उसके पालतू हैं | एक सबसे जहरीले सांप को उठाया और उसे जोर से दबाया , सांप ने भी कैलाश का यह व्यवहार पहली बार देखा था और गुस्से से पागल हो गया | थोड़ी पकड़ ढीली होने पर सांप ने कैलाश की ऊँगली को डस लिया | कैलाश की जडियों में से एक लाकर घिस कर लगाया गया पर कोई असर नहीं हुआ | किसी ने झाड़ फूंक करने वाले को बुलाने को कहा | डॉक्टर चड्ढा ने कहा की वे अपनी सारी संपत्ति उसके क़दमों में रख देंगे बस उनके बेटे को बचा ले | एक आदमी भगत के पास गया और उसे सारी बात बताई , भगत ने जाने से मना कर दिया | सारी जिंदगी निस्वार्थ सबकी जान बचायी थी उसने पर वह उस आदमी की मदद नहीं करना चाहता था क्योंकि डॉक्टर चड्ढा ने उस समय उसकी मदद न की थी जब वो अपने सात वर्षीय जाते हुए बेटे को डोली में लेकर गया था | पर उसके दिल पे बोझ सा था , वह आखिर उठ ही गया और डॉक्टर साहब के बंगले की तरफ गया और फिर देखा की काफी भीड़ जमी थी और अब वे सब मेहमान कैलाश को मरा समझ कर लौट रहे थे | बूढ़े ने कहा अभी देर नहीं हुई है और उसे नहलाने के लिए कहा , सब पानी भर भर कर उसे नहलाने लगे और वो मंत्र पढता गया फिर जब कैलाश की आंख खुली तो सबकी ख़ुशी का ठिकाना न हुआ | डॉक्टर साहब जब भगत को ढूँढने लगे तो वह कही न मिला , वो घर जा चुका था | अपनी बीवी से कहा की वह वही है जो एक दिन मेरे दरवाजे पर मदद के लिए आया था और मैंने उसकी मदद नहीं की , वो एक बड़ी सीख दे गया था |  

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