I need two padyansh with question and answer. Padyansh should not be to long.
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पद्यांश प्रथम-
आज फिर से
धृतराष्ट्र के अंधे सपनों में पले
उसके सौ-सौ बिगड़ैल बेटे
शकुनि की शह पर
चप्पे-चप्पे में फैल गए हैं
नगर नहीं गांव नहीं
संसद भवन तक पैठ गए हैं
कोई भी सरेआम भीष्म की दाढ़ी नोंंचता है
पर मेरे देश का नियंता
कुछ नहीं सोचता है।
यह मेरे देश की वोटिल राजनीति
जिसके मवाद में हजारों दुःशासन बिलबिलाते हैं
कितने ही जयद्रथ कितने दुर्योधन
कितने ही शकुनि
टेढी चाल से ठहाके लगाते हैं ।
पर बेचारे भीष्म कुछ नहीं कर पाते हैं ।-अशोक बत्रा
प्रश्न
क) धृतराष्ट्र के अंधे सपनों में पले बिगड़ैल बेटे किस ओर संकेत कर रहे हैं?
ख) शकुनि की इच्छा पर शाह पर संसद भवन में पैठने का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए ।
ग) इसमें भीष्म किसका प्रतीक है ?
घ)कवि ने समाज की दुर्दशा का दोषी किसे माना है?
च) इसका शीर्षक लिखिए।
छ) इसका एक तिहाई शब्दों में सारांश लिखिए।
उत्तर
क) धृतराष्ट्र के अंधे सपनों में पले बिगड़ैल बेटे महाभारत में दुर्योधन और कौरवों की ओर तथा राजनीति में छाए दुष्ट नेताओं की ओर संकेत करते हैं।
ख) इस में विदेशी षड्यंत्रकारियों के इशारे पर भारतीय संसद पर हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकवादियों की ओर संकेत किया गया है।
ग) ईश्वर लाचार सत्ताधारियों का प्रतीक है।
घ) कवि ने वोट की राजनीति को समाज की दुर्दशा के लिए दोषी माना है।
च) देश की कुटिल राजनीति।
छ) आज फिर से विदेशी षडयंत्रकारियों का तथा बिगड़ैल राजनीतिज्ञों का बोलबाला है ।आतंकवादी देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वोट की राजनीति के कारण कुछ नेतागण देश की सुरक्षा व्यवस्था को हिलाने तक में नहीं डरते।
आज फिर से
धृतराष्ट्र के अंधे सपनों में पले
उसके सौ-सौ बिगड़ैल बेटे
शकुनि की शह पर
चप्पे-चप्पे में फैल गए हैं
नगर नहीं गांव नहीं
संसद भवन तक पैठ गए हैं
कोई भी सरेआम भीष्म की दाढ़ी नोंंचता है
पर मेरे देश का नियंता
कुछ नहीं सोचता है।
यह मेरे देश की वोटिल राजनीति
जिसके मवाद में हजारों दुःशासन बिलबिलाते हैं
कितने ही जयद्रथ कितने दुर्योधन
कितने ही शकुनि
टेढी चाल से ठहाके लगाते हैं ।
पर बेचारे भीष्म कुछ नहीं कर पाते हैं ।-अशोक बत्रा
प्रश्न
क) धृतराष्ट्र के अंधे सपनों में पले बिगड़ैल बेटे किस ओर संकेत कर रहे हैं?
ख) शकुनि की इच्छा पर शाह पर संसद भवन में पैठने का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए ।
ग) इसमें भीष्म किसका प्रतीक है ?
घ)कवि ने समाज की दुर्दशा का दोषी किसे माना है?
च) इसका शीर्षक लिखिए।
छ) इसका एक तिहाई शब्दों में सारांश लिखिए।
उत्तर
क) धृतराष्ट्र के अंधे सपनों में पले बिगड़ैल बेटे महाभारत में दुर्योधन और कौरवों की ओर तथा राजनीति में छाए दुष्ट नेताओं की ओर संकेत करते हैं।
ख) इस में विदेशी षड्यंत्रकारियों के इशारे पर भारतीय संसद पर हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकवादियों की ओर संकेत किया गया है।
ग) ईश्वर लाचार सत्ताधारियों का प्रतीक है।
घ) कवि ने वोट की राजनीति को समाज की दुर्दशा के लिए दोषी माना है।
च) देश की कुटिल राजनीति।
छ) आज फिर से विदेशी षडयंत्रकारियों का तथा बिगड़ैल राजनीतिज्ञों का बोलबाला है ।आतंकवादी देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वोट की राजनीति के कारण कुछ नेतागण देश की सुरक्षा व्यवस्था को हिलाने तक में नहीं डरते।
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