Social Sciences, asked by Darshan5262, 11 months ago

इंसाफ़ में देरी यानी इंसाफ़ का क़त्ल ‘इस विषय पर एक कहानी बनाइए।

Answers

Answered by nikitasingh79
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Answer with Explanation:

इंसाफ़ में देरी यानी इंसाफ़ का क़त्ल ‘इस विषय पर एक कहानी निम्न प्रकार से हैं :  

श्रीमान सोहन एक सरकारी कर्मचारी थे। सेवानिवृत्ति के पश्चात वे अपने पुश्तैनी मकान में रहने आए जो उन्होंने अब तक किराए पर दिया हुआ था । उन्होंने किरायेदारों से मकान खाली करने को कहा परंतु किरायेदारों ने मकान खाली नहीं किया। किरायेदारों ने श्रीमान सोहन से कहा कि यदि वे मकान खाली कराना चाहते हैं तो कोर्ट से नोटिस लाएं। श्रीमान सोहन को मजबूरी में किराए के मकान में रहना पड़ा और उन्होंने कोर्ट में किरायेदारों के मुकदमा दायर कर दिया। 5 साल केस लड़ने के बाद जिला अदालत ने मकान मालिक के पक्ष में फैसला सुनाया और वह मुकदमा जीत गए। किरायेदारों ने जिला अदालत अदालत के फैसले के प्रति असहमति व्यक्त करते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी । लगातार तारीखें  पड़ने लगी और न्याय होने में 10 साल और गुजर गए। श्रीमान सोहन सेवानिवृत्ति के बाद 15 साल तक किराए के मकान में रहे, अदालतों के चक्कर लगाते रहे । उन्होंने महसूस किया कि इंसाफ़ में देरी यानी इंसाफ़ का क़त्ल ही था।  

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

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