ओल्गा टेलिस बनाम बम्बई नगर निगम मुकदमे में दिए गए फैसले के अंशों को दोबारा पढ़िए। इस फैसले में कहा गया हैं कि आजीविका का अधिकार जीवन के अधिकार का हिस्सा है। अपने शब्दों में लिखिए कि इस बयान से जजों का क्या मतलब था?
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Answer with Explanation:
ओल्गा टेलिस बनाम बम्बई नगर निगम मुकदमे में दिए गए फैसले के कहा गया हैं कि आजीविका का अधिकार जीवन के अधिकार का हिस्सा है।
इस बयान से जजों का निम्नलिखित मतलब था :
ओल्गा टेलिस तथा मुंबई मुंसिपल मुकद्दमे में आजीविका का आधार जीवन के अधिकार के भाग के रूप में स्थापित हुआ । जीवन के अधिकार का वर्णन संविधान के अनुच्छेद 21 में किया गया है ।अनुच्छेद 21 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन, व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता। परंतु यह जीवन के अधिकार का एक पक्ष है। जीवन के अधिकार का दूसरा पक्ष आजीविका कमाने के अधिकार से संबंधित है , क्योंकि कोई भी मनुष्य आजीविका के साधनों के बिना जीवित नहीं रह सकता । इस प्रकार आजीविका कमाने का जीवन के अधिकार का भाग है । ओल्गा टेलिस तथा मुंबई मुंसिपल मुकद्दमे में यही निष्कर्ष निकाला गया। यह निर्णय झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों के आजीविका कमाने के अधिकार की रक्षा करता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :
सुधा गोयल मामले को ध्यान में रखते हुए नीचे दिए गए बयानों को पढ़िए। जो वक्तव्य सही हैं उन पर सही का निशान लगाइए और जो गलत हैं उनको ठीक कीजिए।
(क) आरोपी इस मामले को उच्च न्यायालय लेकर गए क्योंकि वे निचली अदालत के फैसले से सहमत नहीं थे।
(ख) वे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ़ उच्च न्यायालय में चले गए।
(ग) अगर आरोपी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं तो दोबारा निचली अदालत में जा सकते हैं।
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