Hindi, asked by gaggi1837, 1 year ago

I want a Hindi essay of about 300 words on Sarv Siksha Abhiyan. Thanks

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Answered by Ashok804432
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शिक्षा मनुष्य के सम्यक् विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है । दूसरे शब्दों में, शिक्षा के बिना मनुष्य का सम्यक् अर्थात् सर्वांगीण विकास संभव नहीं है । शिक्षा के माध्यम से ही मनुष्य ज्ञान की ओर अग्रसर होता है और ज्ञान ही उसकी वैचारिक एवं बौद्‌धिक क्षमता की वृद्धि करता है ।

स्त्रियों, प्रौढ़जनों व अन्य अशिक्षित जनों को शिक्षा प्रदान करना हम सब का नैतिक कर्तव्य है । यह निस्संदेह देश के विकास के लिए एक उपयोगी कदम है । देश भर में चलाया गया सर्वशिक्षा अभियान इसी दिशा में उठाया गया एक सार्थक कदम है । सर्वशिक्षा अभियान का उद्‌देश्य राष्ट्रीय विकास के लिए जन-जन तक शिक्षा को पहुँचाना है ताकि रूढ़िवादी परंपराओं के अंधकार से निकलकर मनुष्य ज्ञान के प्रकाश की ओर उम्मुख हो सके ।

इस अभियान के अंतर्गत सभी को, विशेषकर उन व्यक्तियों को जो किसी कारणवश स्वयं शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके, उनमें पढ़ने की रुचि पैदा की जाती है । साथ ही उन्हें शिक्षा के महत्व को समझाया जाता है ताकि आने वाली पीढ़ियों को निरक्षर बने रहने से रोका जा सके ।

साक्षरता अथवा सर्वशिक्षा अभियान का प्रारंभ सन् 1937 ई॰ में राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में हुआ जिसके अंतर्गत प्रौढ़ शिक्षा केंद्र व रात्रि पाठशालाएँ खोली गईं । देशभर में नए पुस्तकालयों एवं वाचनालयों की स्थापना हुई परंतु सर्वशिक्षा अभियान के कार्यक्रमों को व्यापकता स्वतंत्रता के बाद ही मिली । शिक्षा के स्वरूप पर पुनर्विचार हुआ जिससे शिक्षा का लाभ ग्रामीण अंचलों को भी पूर्ण रूप से मिल सके ।

इस अभियान का उद्‌देश्य ऐसे सभी युवक-युवतियों को सामाजिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक व तकनीकी शिक्षा प्रदान करना रहा है जो किसी कारणवश स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए हैं । प्रौढ़ शिक्षा केंद्र तथा सांध्यकालीन कक्षाओं की व्यवस्था इसी कमी की पूर्ति हेतु की गई है।

आज आवश्यकता इसकी अधिक है कि सभी बच्चों को अनिवार्य रूप से प्राथमिक शिक्षा मिल सके । बच्चों को शिक्षित कर हम राष्ट्र का भविष्य सँवार सकते हैं । यदि हम बच्चों को शिक्षा देने के लक्ष्य से दूर हैं तो सर्वशिक्षा अभियान की बात ही बेमानी हो जाती है । शिक्षा चूँकि राज्य सरकारों का भी विषय है, अत: अलग-अलग सरकारें शिक्षा-व्यवस्था के प्रति भिन्न नजरिया रखती हैं ।

सत्तर के दशक तक हमारी संपूर्ण जनसंख्या का केवल एक चौथाई हिस्सा ही शिक्षित वर्ग में आता था । किसी भी लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के लिए यह सबसे दुष्कर समस्या है क्योंकि इस अवस्था में शासन पद्‌धति का सुचारू रूप से चलना संभव नहीं होता है । सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत समय-समय पर अनेक योजनाएँ बनाई गईं परंतु यह अभी पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सकी है ।

आज भी हमारी जनसंख्या का अधिकांश भाग निरक्षर है । हमारी निरक्षरता ही प्रगति की दौड़ में हमारे पीछे रहने का एक प्रमुख कारण है । हमारे कामगार, किसान व अन्य व्यक्तियों में निर्धनता के कारण शिक्षा की ओर अपना ध्यान आकृष्ट नहीं कर पा रहे हैं । कुछ लोग किसी समस्या के चलते इस अभियान में भाग नहीं ले पाते हैं । अन्य लोगों में पढ़ाई के नाम से ही नीरसता का अनुभव होता है । शिक्षा उन्हें सुनने में ही अच्छी लगती है परंतु वे इसमें रुचि नहीं दिखाते हैं ।

हमारे पास वित्तीय संसाधनों की कमी भी इस अभियान की असफलता का प्रमुख कारण बनती है । लाखों की संख्या में शिक्षित लोग बेरोजगार हैं, उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं । इन परिस्थितियों में अशिक्षितों को शिक्षा प्रदान करने के प्रयासों को धक्का पहुँचता है ।

मेरा मानना है कि हमारा देश विकास की दौड़ में अग्रणी देशों में तब तक सम्मिलित नहीं हो सकता जब तक देश में लोग निरक्षर बने रहेंगे । यदि हम विकसित देशों की ओर देखें तो हम पाएँगे कि वहाँ शिक्षा का प्रचार-प्रसार अधिक है । वहाँ अधिकांश लोग शिक्षित हैं जिसके कारण ही वे हमसे बहुत आगे हैं ।

हमारे देश के कई छोटे-छोटे राज्य पूर्ण साक्षरता के लक्ष्य के करीब हैं लेकिन उत्तर व दक्षिण भारत के अधिकांश बड़े राज्यों में स्थिति चिंताजनक कही जा सकती है । अशिक्षा के कारण लोगों में अपने परिवेश, अपने समाज और अपने राष्ट्र के प्रति उचित समझदारी नहीं आ पाती है । निरक्षर लोग लोकतंत्र के मूल सिद्‌धांतों को समझने में असमर्थ होते हैं । अत: हमारा सर्वशिक्षा अभियान राष्ट्र के विकास के लिए स्वयं में एक अनिवार्यता है ।

इस अभियान में सरकार विशेष रूप से अपना योगदान कर रही है परतु केवल सरकार का योगदान ही पर्याप्त नहीं है । इसके लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा । सभी को एकजुट होकर अशिक्षा व निरक्षरता के अंधकार को मिटाने का संकल्प लेना होगा । मेरी कोशिश यह होगी कि मैं कम से कम दो लोगों को पूर्ण साक्षर बना सकूँ और मेरी तरह ही प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति इसी प्रकार का संकल्प लें तो बड़ी ही सहजता से सर्वशिक्षा अभियान को सफल बनाया जा सकता है ।

इसके अतिरिक्त मैं अपने संपर्क में आने वाले समस्त शिक्षित लोगों से आग्रह व उन्हें प्रोत्साहित करूँगा कि एक सच्चा भारतीय नागरिक होने के कारण वे निरक्षरता की इस राष्ट्रीय समस्या के निदान हेतु अपना हरसंभव योगदान करें क्योंकि साक्षरता आज की सबसे प्रमुख आवश्यकता है । आइए, हम सब एकजुट होकर सर्वशिक्षा अभियान को सफल बनाने का संकल्प लें ।
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