i want a poem on nature in hindi
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देश मेरा आज़ाद हुआपर धीरे धीरे बर्बाद हुआकभी लूटा गोरो ने तो कभी नेताओं का शिकार हुआदेख कर ये दारुण चेहरेदिल में मेरे पड़ गए जखम गहरेआज फिर किसी पर अत्याचार हुआबलात्कार, घूसखोरी से ये देश लाचार हुआसो गयी बुद्धि जल गए गाँव गलीना जाने ये कैसी हवा चलीआखिर कब ये बदलाव हुआ..??देश मेरा लाचार हुआ …संसद की अब न कोई परिभाषा हैये बस लंगूरों को तमाशा है..मेरे मन में तो छोटी सी आशा हैदेश मेरा संपन्न हो बस एक यही अभिलाषा है..!!मैं भी कह सकूँ कीहाँ देश मेरा आज़ाद हुआहर सपना साकार हुआदेश में मेरे आज सही बदलाव हुआ….
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प्रकृति तो हमेशा ही, मेरी सुंदर माँ जैसी है.
गुलाबी सुबह से माथा चूम कर, हँसते हुए उठाती है,
गर्म दोपहर मे ऊर्जा भर के, दिन खुशहाल बनाती है,
रात की चादर में सितारे जड़ कर, मीठी नींद सुलाती है,
प्रकृति तो हमेशा ही, मेरी सुंदर माँ जैसी है.
हरे पेड़ों से साँसे देकर, जीवन हमको देती है,
मीठा नीर बहा नदियों मे, हरदम हमें पालती है,
खिला के खूबसूरत फूलों को, जीवन मे रंग भरती है.
प्रकृति तो हमेशा ही, मेरी सुंदर माँ जैसी है.
Shreyathegreat:
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