i want a short paragraph on bhagat singh in hindi......its very urgent plzzzz
Answers
Answered by
30
भगत सिंह
'भगत सिंह' का जन्म 28 सितंबर, 1907 मेँ पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गांव (जो अभी पाकिस्तान में है) एक सिख परिवार मेँ हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। भगतसिंह के जन्म के बाद उनकी दादी ने उनका नाम 'भागो वाला' रखा था। जिसका मतलब होता है 'अच्छे भाग्य वाला'। बाद में उन्हें 'भगतसिंह' कहा जाने लगा।
भगत सिंह बचपन से ही मेधावी थे। भगत सिंह 14 वर्ष की आयु से ही पंजाब की क्रांतिकारी संस्थाओं में कार्य करने लगे थे। सन 1923 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें विवाह बंधन में बांधने की तैयारियां होने लगी तो वह लाहौर से भागकर कानपुर आ गए। फिर देश की आजादी के संघर्ष मेँ रम गये व अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया। भगत सिंह ने महात्मा गांधी जी से प्रेरित होकर उनके असहयोग आंदोलन में भाग लिया। लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह और उनके दोस्तों ने स्कॉट सांडर्स को गोलियों से भून दिया। इन्होंने केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम फेंका। वर्ष 1931 मेँ भगत सिंह को राजगुरु एवम सुखदेव के साथ फांसी दे दी गयी।
भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन मेँ सरदार भगत सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। वह भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने देश की आज़ादी के लिए जिस साहस का परिचय दिया, वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है, जिस कारण उनका नाम अमर शहीदों में सबसे प्रमुख रूप से लिया जाता है।
'भगत सिंह' का जन्म 28 सितंबर, 1907 मेँ पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गांव (जो अभी पाकिस्तान में है) एक सिख परिवार मेँ हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। भगतसिंह के जन्म के बाद उनकी दादी ने उनका नाम 'भागो वाला' रखा था। जिसका मतलब होता है 'अच्छे भाग्य वाला'। बाद में उन्हें 'भगतसिंह' कहा जाने लगा।
भगत सिंह बचपन से ही मेधावी थे। भगत सिंह 14 वर्ष की आयु से ही पंजाब की क्रांतिकारी संस्थाओं में कार्य करने लगे थे। सन 1923 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें विवाह बंधन में बांधने की तैयारियां होने लगी तो वह लाहौर से भागकर कानपुर आ गए। फिर देश की आजादी के संघर्ष मेँ रम गये व अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया। भगत सिंह ने महात्मा गांधी जी से प्रेरित होकर उनके असहयोग आंदोलन में भाग लिया। लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह और उनके दोस्तों ने स्कॉट सांडर्स को गोलियों से भून दिया। इन्होंने केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम फेंका। वर्ष 1931 मेँ भगत सिंह को राजगुरु एवम सुखदेव के साथ फांसी दे दी गयी।
भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन मेँ सरदार भगत सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। वह भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने देश की आज़ादी के लिए जिस साहस का परिचय दिया, वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है, जिस कारण उनका नाम अमर शहीदों में सबसे प्रमुख रूप से लिया जाता है।
Answered by
14
सरदार भगतसिंह का नाम अमर शहीदों में सबसेप्रमुखरूपसेलियाजाता है। भगतसिंह का जन्म 28सितंबर, 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गांव (जो अभी पाकिस्तान में है) के एक देशभक्त सिख परिवार में हुआ था,जिसका अनुकूल प्रभाव उन पर पड़ा था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था।
यह एक सिख परिवार था जिसने आर्य समाज के विचार को अपना लिया था। उनके परिवार पर आर्य समाज व महर्षि दयानन्द की विचारधारा का गहरा प्रभाव था। भगत सिंह के जन्म के समय उनके पिता 'सरदार किशन सिंह' एवं उनके दो चाचा 'अजीतसिंह' तथा 'स्वर्णसिंह'अंग्रेजों के खिलाफ होने के कारण जेल में बंद थे। जिस दिन भगतसिंह पैदा हुए उनके पिता एवं चाचा को जेल से रिहा किया गया। इस शुभ घड़ी के अवसर पर भगतसिंह के घर में खुशी और भी बढ़ गई थी।
भगतसिंह के जन्म के बाद उनकी दादी ने उनका नाम 'भागो वाला'रखा था। जिसका मतलब होता है 'अच्छे भाग्य वाला'। बाद में उन्हें 'भगतसिंह' कहा जाने लगा। वह 14 वर्ष की आयु से ही पंजाब की क्रांतिकारी संस्थाओं में कार्य करने लगे थे। डी.ए.वी. स्कूल से उन्होंने नौवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1923 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें विवाह बंधन में बांधने की तैयारियां होने लगी तो वह लाहौर से भागकर कानपुर आ गए। फिर देश की आजादी के संघर्ष में ऐसे रमें कि पूरा जीवन ही देश को समर्पित कर दिया। भगतसिंह ने देश की आजादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया,वह युवकों के लिए हमेशा ही एक बहुत बड़ा आदर्श बना रहेगा।
Thanks
Hope this will be helpful for you....
;-))
यह एक सिख परिवार था जिसने आर्य समाज के विचार को अपना लिया था। उनके परिवार पर आर्य समाज व महर्षि दयानन्द की विचारधारा का गहरा प्रभाव था। भगत सिंह के जन्म के समय उनके पिता 'सरदार किशन सिंह' एवं उनके दो चाचा 'अजीतसिंह' तथा 'स्वर्णसिंह'अंग्रेजों के खिलाफ होने के कारण जेल में बंद थे। जिस दिन भगतसिंह पैदा हुए उनके पिता एवं चाचा को जेल से रिहा किया गया। इस शुभ घड़ी के अवसर पर भगतसिंह के घर में खुशी और भी बढ़ गई थी।
भगतसिंह के जन्म के बाद उनकी दादी ने उनका नाम 'भागो वाला'रखा था। जिसका मतलब होता है 'अच्छे भाग्य वाला'। बाद में उन्हें 'भगतसिंह' कहा जाने लगा। वह 14 वर्ष की आयु से ही पंजाब की क्रांतिकारी संस्थाओं में कार्य करने लगे थे। डी.ए.वी. स्कूल से उन्होंने नौवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1923 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें विवाह बंधन में बांधने की तैयारियां होने लगी तो वह लाहौर से भागकर कानपुर आ गए। फिर देश की आजादी के संघर्ष में ऐसे रमें कि पूरा जीवन ही देश को समर्पित कर दिया। भगतसिंह ने देश की आजादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया,वह युवकों के लिए हमेशा ही एक बहुत बड़ा आदर्श बना रहेगा।
Thanks
Hope this will be helpful for you....
;-))
Similar questions
Social Sciences,
7 months ago
Chemistry,
7 months ago
Chemistry,
1 year ago
Social Sciences,
1 year ago