Hindi, asked by parmita66gangwar, 1 year ago

I want an essay in hindi on antriksh ki yatra

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Answered by Mohsin1110
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Answer:

अंतरिक्ष की यात्रा – अंतरिक्ष में यात्रा करने का अनुभव सभी का अलग होता है और इसके नाम से ही पेट में ति‍तलियां सी उड़ने लगती हैं।

हर कोई अंतरिक्ष यात्रा पर नहीं जा सकता है और अब तक बस कुछ एस्‍ट्रॉनॉट ही अंतरिक्ष में जा पाए हैं। आपको शायद मालूम नहीं होगा कि अंतरिक्ष में जाने के बाद मनुष्‍य के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगें।

अंतरिक्ष में जाने पर मनुष्‍य को अपने शरीर और सेहत का बहुत ध्‍यान रखना पड़ता है और इसके लिए उन्‍हें अलग से ट्रेनिंग भी दी जाती है। उनको अपनी मांसपेशियों समेत शरीर के कई अंगों को मजबूत और स्‍वस्‍थ बनाए रखने के लिए एक निश्चित अंतराल के बाद अभ्‍यास करना होता है।

अंतरिक्ष की यात्रा से दिल और कान पर असर

आप ये सुनकर चौंक जाएंगें कि किस तरह अंतरिक्ष की यात्रा में जाने पर कान और दिल पर इसका प्रभाव पड़ता है। अंतरिक्ष में दिल के पंप करने की क्षमता कम हो जाती है और उसका आकार भी हल्‍का सा सिकुड़कर गोलाकार हो जाता है। वहीं कान की बात करें तो कान का अंदरूनी हिस्‍सा पूरी तरह से अपना काम नहीं कर पाते हैं। इस वजह से लगभग 3 दिनों तक यात्रियों को अंतरिक्ष में मोशन सिकनेस से जूझना पड़ता है।

ग्रैविटी का असर

अंतरिक्ष की यात्रा में पृथ्‍वी पर ग्रैविटी के असर के कारण इंसान के शरीर में उपस्थित तरल पदार्थ ऊपर से नीचे की ओर प्रवाहित होता है लेकिन अंतरिक्ष में ग्रैविटी का प्रभाव उल्‍टा दिखने लगता है और इसी वजह से जब यात्री अंतरिक्ष से वापिस आते हैं तो वे गोल दिखाई देते हैं।

नहीं रहते नाखून

अंतरिक्ष की यात्रा में जाने पर यात्रियों के नाखून गिर जाते हैं। पृथ्‍वी के मुकाबले अंतरिक्ष में अधिक रेडिएशन का सामना करना पड़ता है और इसका यात्रियों पर बुरा असर पड़ता है।

लंबाई बढ़ जाती है और नज़र कमजोर

अंतरिक्ष की यात्रा के दौरान माना जाता है कि यात्रियों की लंबाई कुछ ईंच बढ़ जाती है। ऐसा अंतरिक्ष में गुरुत्‍वाकर्षण बल नहीं होने के कारण होता है। वहीं ज्‍यादा समय तक अंतरिक्ष में रहने पर यात्रियों की आंखें भी कमज़ोर हो सकती हैं। इस नेत्रदोष को विजुअल इंपेयरमेंट प्रेशर सिंड्रोम कहा जाता है।

आप मानें या मानें लेकिन अं‍तरिक्ष में जाने पर यात्रियों के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं और ज्‍यादातर उनकी सेहत के लिए नुकसानदायक ही होते हैं।

सबसे लंबा स्‍पेस वॉक का रिकॉर्ड भारत की सुनीता विलियम्‍स ने बनाया है। अपनी स्‍पेस यात्रा के दौरान उन्‍होंने करीब 8 मिनट का एक वीडियो बनाया था जिसमें अंतरिक्ष यात्री की दिनचर्या का पूरा उल्‍लेख था।

सुनीता ने बताया कि अंतरिक्ष में यात्री 4 से 6 घंटे सोते हैं और अंतरिक्ष यान में ही एक स्‍लीप सेंटर होता है। इसमें कंप्‍यूटर, किताबें और खिलौने भी रखे होते हैं। यान में सभी तरह का फूड तैयार रहता है। यान में हाइड्रेटेड और डीहाइड्रेटेड सभी तरह का फूड होता है।

ये थी अंतरिक्ष की यात्रा – तो दोस्‍तों, कुछ ऐसी होती है अंतरिक्ष यात्रियों की जिंदगी। अपनी यात्रा शुरु करने के बाद इन यात्रियों को पता भी नहीं होता है कि ये वापिस भी आएंगें या नहीं या अपने परिवार से फिर कभी मिल पाएंगें या नहीं।

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