I want an essay in hindi on topic prakriti ka sandesh jiyo aur jine do 400wrds (translation :natures message live nd let live others) plz reply fast ....
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विविधता सभी प्रकृति में है और यह प्रकृति की सुंदरता को जोड़ती है तो, विविधतापूर्ण विचार हमेशा अधिक सुंदर और आकर्षक होते हैं वे सुस्त और निर्जन मानव जीवन के लिए स्वाद जोड़ते हैं। वे लोकतांत्रिक सोच का सार हैं आचरण, एकरूपता और समानता एक डिक्टेटोरियल और फासीलिस्ट रवैया के गुण हैं।
धर्म, राष्ट्र, जाति और जाति के नाम पर दुनिया में बहुत क्रूरता और सताए हुए हैं। मासूम लोगों को अत्याचार और अपंग कर दिया गया है। यहां तक कि छोटे बच्चों और महिलाओं को बख्शा नहीं दिया गया है। इस दुनिया के निर्माण के बाद से, गरीब जानवरों को मानवीय क्रोध का सामना करना पड़ा है।
हम सभी को यह एहसास होना चाहिए कि यह दुनिया एकमात्र ऐसी जगह है जहां हम सभी को जीवित रहना है। हमारे पास कोई अन्य दुनिया नहीं है जहां हम भाग ले सकते हैं। हमारे लिए सबसे अच्छा कोर्स "लाइव एंड लाइट लाइव" की नीति को अपनाना है। बुद्ध और गुरु नानक जैसे महान पुरुष हमें सिखाए हैं।
हमें इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि भगवान इस ब्रह्मांड का एक निर्माता है। उसने इस दुनिया में सभी प्रकार के प्राणियों को बनाया है। वे सभी शांति और सद्भाव में रहना चाहिए। मनुष्य सभी सृष्टि का मुकुट है वह केवल सभ्य प्राणी होने का दावा करता है कम से कम, उन्हें सार्वभौमिक प्रेम, शांति और भाईचारे की नीति का पालन करना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए। संकीर्ण, संकीर्ण, भाषाई, जातीय, धार्मिक और राष्ट्रीय आकांक्षाओं को भी छोड़ देना चाहिए। एक विश्व सरकार हो, एक विश्व नागरिकता हो "लाइव और लाई लाइव" की नीति समय की भयानक आवश्यकता है।
प्रकृति एक प्राकृतिक पर्यावरण है जो हमारे आसपास है, हमारा ध्यान देती है और हर पल हमारा पालन-पोषण करती है। ये हमारे चारों तरफ एक सुरक्षात्मक कवच प्रदान करती है जो हमें नुकसान से बचाती है। हवा, पानी, जमीन, आग, आकाश आदि जैसी प्रकृति के बिना हमलोग इस काबिल नहीं है कि धरती पर रह सके। प्रकृति हमारे आस-पास कई रुपों में है जैसे पेड़, जंगल, जमीन, हवा, नदी, बारिश, तालाब, मौसम, वातावरण, पहाड़, पठार, रेगिस्तान आदि। कुदरत का हर स्वरुप बहुत शक्तिशाली है जो हमारा पालन पोषण करने के साथ ही नाश करने की क्षमता भी रखता है।
आज के दिनों में सभी के पास प्रकृति का आनन्द उठाने का कम समय है। बढ़ती भीड़ में हम प्रकृति का सुख लेना और अपने को स्वस्थ रखना भूल गये है। हम शरीर को फिट रखने के लिये तकनीक का प्रयोग करने लगे है। जबकि ये बिल्कुल सत्य है कि प्रकृति हमारा ध्यान रख सकती है और हमेशा के लिये फिट रख सकती है। बहुत सारे लेखक अपने लेखन में प्रकृति के फायदे और उसकी सुंदरता का गुणगान कर चुके है। प्रकृति के पास ये क्षमता है कि वो हमारे दिमाग को चिंता मुक्त रखे और बीमारीयों से बचाए। मानव जाति के जीवन में तकनीकी उन्नत्ति के कारण हमारी प्रकृति का लगातार ह्रास हो रहा है जिसे संतुलित और उसके प्राकृतिक संपत्ति को संरक्षित रखने के लिये उच्च स्तर की जागरुकता की जरुरत है।
ईश्वर ने सब कुछ बहुत सुंदरता से देखने के लिये बनाया है जिससे हमारा आँखे कभी नहीं थक सकती। लेकिन हम भूल जाते है कि मानव जाति और प्रकृति के बीच के रिश्तों को लेकर हमारी भी कुछ जिम्मेदारी है। सूर्योदय की सुबह के साथ ये कितना सुंदर दृश्य दिखाई देता है, जब चिड़ियों के गाने, नदी, तालाब की आवाज हवा और एक लंबे दिन के दबाव के बाद बगीचे में शाम में दोस्तों के साथ खुशनुमा पल हो। लेकिन हम अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते प्रकृति की खूबसूरती का आनन्द लेना भूल चुके है।
कई बार हमारी छुट्टीयों में हम अपना सारा दिन टीवी, न्यूजपेपर, कम्प्यूटर खेलों में खराब कर देते है लेकिन हम भूल जाते है कि दरवाजे के बाहर प्रकृति के गोद में भी बहुत कुछ रोचक है हमारे लिये। बिना जरुरत के हम घर के सारे लाइटों को जलाकर रखते है। हम बेमतलब बिजली का इस्तेमाल करते है जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देता है। हमारी दूसरी गतिविधियाँ जैसे पेड़ों और जंगलों की कटाई से CO2 गैस की मात्रा में वृद्धि होती है और ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है।
अगर हमें हमेशा खुश और स्वस्थ रहना है तो हमें स्वार्थी और गलत कार्यों को रोकने के साथ-साथ अपने ग्रह को बचाना होगा और इस सुंदर प्रकृति को अपने लिये बेहतर करना होगा। पारिस्थितिकीय तंत्र को संतुलित करने के लिये हमें पेङों और जंगलो की कटाई रोकनी होगी, ऊर्जा और जल का संरक्षण करना होगा आदि। अंत में प्रकृति के असली उपभोक्ता हम है तो हमें ही इसका ध्यान रखना चाहिये।