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अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। – भवानीदयाल संन्यासी
यह कैसे संभव हो सकता है कि अंग्रेजी भाषा समस्त भारत की मातृभाषा के समान हो जाये? – चंद्रशेखर मिश्र
साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है। – महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा
जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है। – (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल
भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है। – टी. माधवराव
हिंदी हिंद की, हिंदियों की भाषा है। – र. रा. दिवाकर
यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। – राजेन्द्र प्रसाद
उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। – मुहम्मद हुसैन आजाद
समाज और राष्ट्र की भावनाओं को परिमार्जित करने वाला साहित्य ही सच्चा साहित्य है। – जनार्दनप्रसाद झा द्विज
मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। – राहुल सांकृत्यायन
शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है। – शिवप्रसाद सितारेहिंद
हमारी हिंदी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी भारतीय भाषा से किसी अंश से कम नहीं है। – (रायबहादुर) रामरणविजय सिंह
वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके। – पीर मुहम्मद मूनिस
भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहँुचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा। – शिवपूजन सहाय
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