Hindi, asked by wwwamangarg290, 11 months ago

I want diary entry in hindi during lockdown for class. 8

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Answered by Akanksha1011111
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डॉ. पूजा त्रिपाठी

नई दिल्ली,

11 April, 2020

ये वक़्त गुजर जाएगा पर हम सब इस बीमारी को याद रखेंगे कि इसने पूरी दुनिया को घरों में बंद कर दिया, देश के देश क्वारंटाइन में चले गए, जो शहर कभी नहीं रुकते थे, वे थम से गए. और जब सब फिर से ठीक होगा तो हम फिर किसी दिन सुबह अख़बार खोलेंगे तो पाएंगे कि ‘ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं होने के कारण सैंकड़ों नवजात मृत” हम फिर स्वास्थ्य में, सरकारी व्यवस्थाओं में निवेश नहीं करेंगे.बहुत छोटी थी तो पापा को कभी समय से आते नहीं देखा, हॉस्पिटल से आते उनको इतनी देर हो जाती थी कि मोहल्ले के सारे घरों की बिजली बंद हो जाती थी. उस समय अक्सर सुनते थे, बड़ा नेक प्रोफेशन है, भगवान सरीखा. बड़ी होकर जब खुद उस प्रोफेशन में आई और सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को करीब से देखा तो जाना कि हम जिसमें सुधार नहीं लाना चाहते, उस पर महानता का लेबल चस्पां कर देते हैं, भगवान बना देते हैं.

इस महामारी के दौर में सब कुछ वही है. डॉक्टर भगवान बन गए हैं, Thank You frontline health workers के नाम से सोशल मीडिया पर मुहिम चलायी जा रही है, प्रधानमंत्री के कहने पर लोग घरों से निकल कर ताली बजाते हैं, थाली बजाते हैं और डॉक्टरों के सैनिक कह कर हम उन्हें उस पायदान पर बैठा देते हैं जहाँ से, जिसपर, जिसके लिए सवाल नहीं पूछे जाते.

ठीक वैसे ही जैसे ही सैनिकों को महान बता दिया जाता है, फिर उनकी तैयारी कैसी है ये कोई नहीं पूछता. देशभक्ति का स्केल हर वस्तु को छोटा ही दिखाता है. शहीद होना, देश के लिए बलिदान देना इतना असाधारण काम है कि पेंशन के लिए भटकते बूढ़े पैर और पीछे बच गयी आँखों के नीचे की झुर्रियां किसी को नहीं दिखती.कोरोना के वक़्त नए हीरो हैं हमारे पास. अब डॉक्टर सैनिक बन गए हैं. पीपीई किट जो डॉक्टर को इन्फेक्शन से बचाती है, वो अधिकतर डॉक्टरों के पास नहीं है. सवाल मत पूछिए, मांग मत करिए, बस अपना काम करते रहिये.

अमेरिका में वेंटीलेटर इतने कम पड़ गए हैं कि यह देखा जा रहा है कि किसे जरुरत ज्यादा है, जीने की, साँसों की. पर यह तय कौन करेगा कि किसे जीने की जरुरत ज्यादा है. हो सकता है कि अपनी सारी जिम्मेदारियों से मुक्त होकर किसी घुटन भरे रिश्ते से आज़ाद होकर किसी ने जीना ही 60 साल बाद शुरू किया. इटली में एक अकेली महिला ने डॉक्टर की उलझन देखते हुए कहा “वेंटीलेटर उसे दीजिये जिसे ज्यादा जरुरत है, मैंने एक अच्छी ज़िन्दगी जी है” . हम हर दिन कितनी ही कहानियाँ सुनते हैं. वो कहानियाँ जो हमें तैयार कर रही है, एक ऐसे भयावह खालीपन के लिए जो कभी नहीं भरेगा.

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