Hindi, asked by poojakoram6843, 1 year ago

I want essay on Nadi ke kinare ek ghanta

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Answered by arusha8683
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नदी किनारे का आनंद ही कुछ और होता है, नदी हमारे शहर से करीबन १० किमी. दूर थी। कहते हैं कि गंगाजी का पानी है, और वह कुंड जिसमें पानी आता है हमेशा भरा रहता है। पानी नदी में प्रवाहित होता रहता है।

नदी के पाट पर बड़े छोटे पत्थर, कुछ रेत और उनके बीच में से निकलता नदी का उनमुक्त जल, जो पता नहीं कब कहाँ निकल आता और कैसा अहसास करा जाता। इसीलिये नदी किनारा हमेशा से मेरा पसंदीदा स्थान रहा है। जब हम मंगलनाथ पर नदी के किनारे बैठते थे तो गजानन माधव मुक्तिबोध की याद आ जाती थी, कहीं पढ़ा था कि मुक्तिबोध मंगलनाथ पर नदी के किनारे बैठकर ही साहित्य सृजन किया करते थे।

केवल इसी कारण से नदी हमारा पसंदीदा स्थान था, पिकनिक मनाने के लिये, सब सामान हम अपने साथ ले जाते थे, हम पाँच मित्र थे जो भी सामान पिकनिक में लगता सब अपने अपने घर से कच्चा ले जाते थे, जैसे कि आटा, दाल, मसाले, सब्जियाँ, पोहे.. इत्यादि। सब अपनी सुविधा के अनुसार घर से निकलते थे

हम दो दोस्त साईकल से नदी के लिये निकलते थे, हमारे दो दोस्त सारा समान लेकर स्कूटर से पहले ही पहुँच जाते थे। साईकल से १० किमी जाना और फ़िर शाम को आना पिकनिक के मजे को दोगुना कर देता था। इससे लगता था, अहसास होता था कि हम कितने ऊर्जावान हैं।

कितना अच्छा लगता है शाम को नदी किनारे पानी में पैर डुबा कर बैठना पानी में कंकडियाँ उछालना और नदी की धार को देखना। मछुआरों के छोटे छोटे बच्चों का
ऊंची कगारों पर से नदी में कूदना नदी की तेज धार में मछलियों की तरह फिसलना और मछुआरों का दूर नदी की बीच धारा में माझी गीतों की तान छेड़ते हुए
नावों पर स्वच्छंद विचरण करना।

इनसे भी ज्यादा अच्छा लगता है पुल पर से गुजरती हुई ट्रेनों को देखना दूर क्षितिज की ओट में डूबते हुए सूर्य के प्रतिबिम्ब को नदी के जल में देखना।

सचमुच कितना सुखद लगता है शाम के समय नदी के किनारे पानी में पैर डुबा कर बैठना आती जाती लहरों को गिनना और नदी की धार को देखना।


Answered by mdmsiwan
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