i want ncert answers of chapter netaji ka chashma.
Answers
Answered by
4
1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?
उत्तर
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हूई थी। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों का भरपूर सम्मान करता था|
2. हालदार साहब ने ड्राईवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा -
(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
(ख) मूर्ती पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
(ग) हालदार साहब इतनी - सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
उत्तर
(क) हालदार साहब पहले इसलिए मायूस हो गए थे क्योंकि वे सोच रहे थे कस्बे के चौराहे पर सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा तो अवश्य मिलेगी, परंतु उनकी आँखों पर चश्मा लगा नहीं मिलेगा। चश्मा लगानेवाला देशभक्त कैप्टेन तो मर चुका है और वहाँ अब किसी में वैसी देशप्रेम की भावना नहीं है।
ख) मूर्ती पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि अभी लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना मरी नहीं है। भावी पीढ़ी इस धरोहर को संभाले हुए हैं| बच्चों के अंदर देशप्रेम का जज्बा है, अतः देश का भविष्य सुरक्षित है|
(ग) जब उन्होंने नेताजी के प्रतिमा की आँखों पर चश्मा लगा देखा तो हालदार साहब के मन की निराशा की भावना अचानक ही आशा के रूप में परिवर्तित हो गयी और उनके ह्रदय की प्रसन्नता आँखों से आँसू बनकर छलक उठी। उन्हें यह विश्वास हो गया कि देशभक्ति की भावना भावी पीढ़ी के मन में भी पूरी तरह भरी हुई है।
3. आशय स्पष्ट कीजिए -
"बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने केमौके ढूँढ़ती है।"
उत्तर
हालदार साहब बार-बार सोचते रहे कि उस कौम का भविष्य कैसा होगा जो उन लोगों की हँसी उड़ाती है जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ त्याग कर देते हैं। साथ ही वह ऐसे अवसर तलाशती रहती है, जिसमें उसकी स्वार्थ की पूर्ती हो सके, चाहे उसके लिए उन्हें अपनी नैतिकता को भी तिलांजलि क्यों न देनी पड़े। अर्थात आज हमारे समाज में स्वार्थ पूर्ती के लिए अपना ईमान तक बेच दिया जाता है। यहाँ देशभक्ति को मूर्खता समझा जाता है।
4. पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
पानवाला काला, मोटा और खुशमिजाज़ आदमी था| उसके सिर पर गिने-चुने बाल ही बचे थे। ज्यादा पान खाने के कारण उसके दाँत काले-लाल हो चुके थे| वह हरदम अपने मुँह में पान भरे रहता था|
5. "वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!"
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर
यह टिप्पणी कैप्टन के बारे में हालदार साहब द्वारा पूछे जाने पर पानवाले द्वारा कई गई थी जो बिलकुल उचित नहीं था। कैप्टन शार्रीरिक रूप से अक्षम था जिसके लिए वह फौज में नहीं जा सकता था। परंतु उसके ह्रदय में जो अपार देशभक्ति की भावना थी, वह किसी फौजी से कम नहीं थी। कैप्टन अपने कार्यों से जो असीम देशप्रेम प्रकट करता था उसी कारण पानवाला उसे पागल कहता था। ऐसा कहना पानवाले की स्वार्थपरता की भावना को दर्शाता है, जो सर्वथा अनुचित है। वास्तव में तो पागलपन की हद तक देश के प्रति त्याग व समर्पण की भावना रखनेवाला व्यक्ति श्रद्धा का पात्र है, उपहास का नहीं।
Hope it will help you.......
उत्तर
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हूई थी। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों का भरपूर सम्मान करता था|
2. हालदार साहब ने ड्राईवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा -
(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
(ख) मूर्ती पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
(ग) हालदार साहब इतनी - सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
उत्तर
(क) हालदार साहब पहले इसलिए मायूस हो गए थे क्योंकि वे सोच रहे थे कस्बे के चौराहे पर सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा तो अवश्य मिलेगी, परंतु उनकी आँखों पर चश्मा लगा नहीं मिलेगा। चश्मा लगानेवाला देशभक्त कैप्टेन तो मर चुका है और वहाँ अब किसी में वैसी देशप्रेम की भावना नहीं है।
ख) मूर्ती पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि अभी लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना मरी नहीं है। भावी पीढ़ी इस धरोहर को संभाले हुए हैं| बच्चों के अंदर देशप्रेम का जज्बा है, अतः देश का भविष्य सुरक्षित है|
(ग) जब उन्होंने नेताजी के प्रतिमा की आँखों पर चश्मा लगा देखा तो हालदार साहब के मन की निराशा की भावना अचानक ही आशा के रूप में परिवर्तित हो गयी और उनके ह्रदय की प्रसन्नता आँखों से आँसू बनकर छलक उठी। उन्हें यह विश्वास हो गया कि देशभक्ति की भावना भावी पीढ़ी के मन में भी पूरी तरह भरी हुई है।
3. आशय स्पष्ट कीजिए -
"बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने केमौके ढूँढ़ती है।"
उत्तर
हालदार साहब बार-बार सोचते रहे कि उस कौम का भविष्य कैसा होगा जो उन लोगों की हँसी उड़ाती है जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ त्याग कर देते हैं। साथ ही वह ऐसे अवसर तलाशती रहती है, जिसमें उसकी स्वार्थ की पूर्ती हो सके, चाहे उसके लिए उन्हें अपनी नैतिकता को भी तिलांजलि क्यों न देनी पड़े। अर्थात आज हमारे समाज में स्वार्थ पूर्ती के लिए अपना ईमान तक बेच दिया जाता है। यहाँ देशभक्ति को मूर्खता समझा जाता है।
4. पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
पानवाला काला, मोटा और खुशमिजाज़ आदमी था| उसके सिर पर गिने-चुने बाल ही बचे थे। ज्यादा पान खाने के कारण उसके दाँत काले-लाल हो चुके थे| वह हरदम अपने मुँह में पान भरे रहता था|
5. "वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!"
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर
यह टिप्पणी कैप्टन के बारे में हालदार साहब द्वारा पूछे जाने पर पानवाले द्वारा कई गई थी जो बिलकुल उचित नहीं था। कैप्टन शार्रीरिक रूप से अक्षम था जिसके लिए वह फौज में नहीं जा सकता था। परंतु उसके ह्रदय में जो अपार देशभक्ति की भावना थी, वह किसी फौजी से कम नहीं थी। कैप्टन अपने कार्यों से जो असीम देशप्रेम प्रकट करता था उसी कारण पानवाला उसे पागल कहता था। ऐसा कहना पानवाले की स्वार्थपरता की भावना को दर्शाता है, जो सर्वथा अनुचित है। वास्तव में तो पागलपन की हद तक देश के प्रति त्याग व समर्पण की भावना रखनेवाला व्यक्ति श्रद्धा का पात्र है, उपहास का नहीं।
Hope it will help you.......
Answered by
0
Answer:
here is your answer
Explanation:
hope it's help you
Attachments:
Similar questions