i want solution of sahitya sagar hindi of class 9 of icse
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जीवन अपूर्ण लिए हुए,
पाता कभी, खोता कभी
आशा-निराशा से घिरा
हँसता कभी रोता कभी।
गति-मति न हो अवरुद्ध, इसका ध्यान आठों याम है।
चलना हमारा काम है।
(i) कवि ने जीवन को अपूर्ण क्यों बताया है?
(ii) "आशा-निराशा से घिरा" से कवि का क्या तात्पर्य है?
(iii) कवि मनुष्य में आठों पहर किस भावना की कामना करते हैं? कवि के विचारों से आप कहाँ तक सहमत हैं?
(iv) यह किस प्रकार की कविता है? इस कविता से आपने क्या सीखा? चलना हमारा काम -पंक्ति को बार-बार दोहराकर कवि क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर
१) कवि ने मानव जीवन को अपूर्ण इसलिए बताया है क्योंकि मनुष्य को अपने जीवन में सब कुछ नहीं मिलता। मनुष्य की इच्छाओं की कोई सीमा नहीं होती हैं। मनुष्य़ जीवन के पथ पर आगे बढ़ते हुए अपनी इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश करता है परन्तु वह सब कुछ प्राप्त ही नहीं कर पाता। अत: खोना और पाना जीवन में होता रहता है।
२) यह मानव स्वभाव का अहम हिस्सा है कि जब उसे जीवन में सफलता प्राप्त होती है तब उसका मन प्रसन्नता से भर जाता है किन्तु असफलता प्राप्त होने पर उसे घोर निराशा होती है। इस प्रकार मनुष्य अपने जीवन में आशा-निराशा के भाव से घिरा रहता है।
(iii) दिन के चौबीस घंटे को आठ पहर में बाँटा जाता है। प्रत्येक पहर में तीन घंटे होते हैं। कवि के अनुसार हमें दिन-रात कठिन परिश्रम करते रहना चाहिए। कवि की यह सोच बिल्कुल सही है कि हमें एक पल के लिए भी खाली नहीं रहना चाहिए। बुद्धि की गति और सोच निरन्तर गतिशील रहनी चाहिए। यदि मनुष्य की गति रुक जाएगी तो वह अपने लक्ष्य को भूलकर निष्क्रिय हो जाएगा। यह जड़ता का प्रतीक है।
(iv) शिवमंगल सिंह "सुमन" द्वारा रचित कविता "चलना हमारा काम है" प्रेरणादायक कविता है जो निराशा में आशा का संचार करने वाली कविता है। प्रस्तुत कविता से हमने सीखा कि मानव जीवन सुख-दुख, सफलता-असफलता, आशा-निराशा के दो किनारों के बीच निरन्तर चलता रहता है और उसके इसी निरन्तर गतिशीलता में मानवता का विकास निहित है।
पाता कभी, खोता कभी
आशा-निराशा से घिरा
हँसता कभी रोता कभी।
गति-मति न हो अवरुद्ध, इसका ध्यान आठों याम है।
चलना हमारा काम है।
(i) कवि ने जीवन को अपूर्ण क्यों बताया है?
(ii) "आशा-निराशा से घिरा" से कवि का क्या तात्पर्य है?
(iii) कवि मनुष्य में आठों पहर किस भावना की कामना करते हैं? कवि के विचारों से आप कहाँ तक सहमत हैं?
(iv) यह किस प्रकार की कविता है? इस कविता से आपने क्या सीखा? चलना हमारा काम -पंक्ति को बार-बार दोहराकर कवि क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर
१) कवि ने मानव जीवन को अपूर्ण इसलिए बताया है क्योंकि मनुष्य को अपने जीवन में सब कुछ नहीं मिलता। मनुष्य की इच्छाओं की कोई सीमा नहीं होती हैं। मनुष्य़ जीवन के पथ पर आगे बढ़ते हुए अपनी इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश करता है परन्तु वह सब कुछ प्राप्त ही नहीं कर पाता। अत: खोना और पाना जीवन में होता रहता है।
२) यह मानव स्वभाव का अहम हिस्सा है कि जब उसे जीवन में सफलता प्राप्त होती है तब उसका मन प्रसन्नता से भर जाता है किन्तु असफलता प्राप्त होने पर उसे घोर निराशा होती है। इस प्रकार मनुष्य अपने जीवन में आशा-निराशा के भाव से घिरा रहता है।
(iii) दिन के चौबीस घंटे को आठ पहर में बाँटा जाता है। प्रत्येक पहर में तीन घंटे होते हैं। कवि के अनुसार हमें दिन-रात कठिन परिश्रम करते रहना चाहिए। कवि की यह सोच बिल्कुल सही है कि हमें एक पल के लिए भी खाली नहीं रहना चाहिए। बुद्धि की गति और सोच निरन्तर गतिशील रहनी चाहिए। यदि मनुष्य की गति रुक जाएगी तो वह अपने लक्ष्य को भूलकर निष्क्रिय हो जाएगा। यह जड़ता का प्रतीक है।
(iv) शिवमंगल सिंह "सुमन" द्वारा रचित कविता "चलना हमारा काम है" प्रेरणादायक कविता है जो निराशा में आशा का संचार करने वाली कविता है। प्रस्तुत कविता से हमने सीखा कि मानव जीवन सुख-दुख, सफलता-असफलता, आशा-निराशा के दो किनारों के बीच निरन्तर चलता रहता है और उसके इसी निरन्तर गतिशीलता में मानवता का विकास निहित है।
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कवि ने मानव जीवन को अपूर्ण इसलिए कहा है क्योंकि मनुष्य अपने पूरे जीवन कुछ खोता है कभी कुछ पता है इस तरह उसकी इच्छाएं कभी पूरी नहीं हो पाती मनुष्य की इच्छाओं का कोई अंत नहीं है ...
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