I want summary of poem hiroshima by agyay in hindi
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इस कविता में हीरोशिमा के युद्ध के विषय में जानकारी दी गई है।
जो जापान में हुआ था ६ अगस्त १९४५ को।
कवि ने इस बम को सूरज की किरणें समझ लिया था। मगर वह बम नहीं तहलका मचाने वाला बम था।
कवि ने इस बम के बाद की परिस्थिति का बहुत ही मार्मिकता के साथ प्रस्तुत किया है।
बम के गिरने के बाद पूरा आकाश काला सा हो गया। चारों तरफ धूल और मिट्टी थी। आकाश कुछ अंधकार सा हो गया।
आग में लिपटे शरीर और कंकाल ही चारों तरफ नज़र आ रहे थे।
जीवन और मौत के युद्ध में जीत मौत की हो रही थी।
हर पल एक जान जा रहा था।
हीरोशिमा के इस युद्ध में कोई नहीं बचता है न पेड़-पौधों , न पशु पक्षी और न ही मानव।
जो जापान में हुआ था ६ अगस्त १९४५ को।
कवि ने इस बम को सूरज की किरणें समझ लिया था। मगर वह बम नहीं तहलका मचाने वाला बम था।
कवि ने इस बम के बाद की परिस्थिति का बहुत ही मार्मिकता के साथ प्रस्तुत किया है।
बम के गिरने के बाद पूरा आकाश काला सा हो गया। चारों तरफ धूल और मिट्टी थी। आकाश कुछ अंधकार सा हो गया।
आग में लिपटे शरीर और कंकाल ही चारों तरफ नज़र आ रहे थे।
जीवन और मौत के युद्ध में जीत मौत की हो रही थी।
हर पल एक जान जा रहा था।
हीरोशिमा के इस युद्ध में कोई नहीं बचता है न पेड़-पौधों , न पशु पक्षी और न ही मानव।
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Explanation:
Akshar Gyan Kavita ka Arth
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