if i a doctor essay in hindi
Answers
अगर मैं डॉक्टर होता?
अगर मैं एक डॉक्टर होता, तो मैं आज के डॉक्टरों की तरह नहीं होता, जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को जरूरतमंद लोगों को महंगे इलाज देकर पैसा वसूलना है। उनके सभी कार्यों और प्रथाओं को इस एकल उद्देश्य से प्रेरित किया जाता है।
यदि मैं एक डॉक्टर होता, तो मेरा मुख्य उद्देश्य लोगों की पीड़ा, दुःख और तनावों को कम करके उन्हें गुणवत्तापूर्ण और प्रभावी चिकित्सा सेवा प्रदान करना होगा। मेरा अपना क्लिनिक होगा जहां मैं जरूरतमंद लोगों को सस्ती दरों पर दवा दूंगा। मैं उन्हें सस्ती कीमत पर हर सुविधा उपलब्ध कराऊंगा।
मेरे पास एक अनुसंधान केंद्र भी होगा जहां घातक और असाध्य रोगों का इलाज खोजने के लिए अनुसंधान किया जाएगा। एक शहर में उन्नत, सस्ती और बहु-विशिष्ट सुविधा बनाने के बाद, मेरी शाखाएँ अन्य शहरों में भी खोली जाएंगी।
मैं बहुत गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए एक वेबसाइट भी लॉन्च करूंगा।
Hey buddy, this essay is in the male format. If you wish to make any changes, you may go ahead by making necessary corrections.
Thank you!
-Shruthi ❤
संसार में अनेक प्रकार के आजीविका के साधन हैं। उनमें से कई साधन तो मानवीय दृष्टि से बड़े ही संवेदनशील हुआ करते हैं जिनका सीधा सम्बन्ध मनुष्य की भावनाओं, उसके प्राणों तथा सारे जीवन के साथ हुआ करता है। डॉक्टर का धन्धा कुछ इसी प्रकार का पवित्र, मानवीय संवेदनाओं से युक्त, प्राण-दान और जीवन-रक्षा की दृष्टि से ईश्वर के बाद दूसरा परन्तु कभी-कभी तो ईश्वर के समान ही माना जाता है। क्योंकि ईश्वर तो मनुष्य को केवल जन्म देकर संसार में भेजने का काम करता है जबकि डॉक्टर के कन्धों पर उसके सारे जीवन की रक्षा का भार पड़ा होता है।
इन बातों को ध्यान में रखकर मैं प्रायः सोचा करता हूं कि यदि मैं डॉक्टर होता, तो? यह तो सत्य ही है कि डॉक्टर का व्यवसाय बड़ा ही पवित्र हुआ करता है। पहले तो लोग यहां तक कहते थे डॉक्टर केवल सेवा करने के लिए होता है, न कि पैसा कमाने के लिए। मैंने ऐसे कई डॉक्टरों के विषय में सुन रखा है जिन्होंने मानव-सेवा में अपना सारा जीवन लगा दिया तथा मरीजों को इसलिए नहीं मरने दिया क्योंकि उनके पास फीस देने या दवाई खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। धन्य हैं ऐसे डॉक्टर! यदि मैं डॉक्टर होता तो मैं भी ऐसा करने का प्रयत्न करता।
सामान्यतया मैंने ऐसा पढ़ा तथा सुना है कि दूर-दराज के देहातों में डॉक्टरी-सेवा का बड़ा अभाव है। वहां तरह-तरह की बीमारियां फैलती रहती हैं जिनके परिणामस्वरूप अनेक लोग बिना दवा के मर जाते हैं। वहां देहातों में डॉक्टरों के स्थान पर नीम-हकीमों का बोलबाला है या फिर झाड़-फूक करने वाले ओझा लोग बीमारी का भी इलाज करते हैं। ये नीम-हकीम तथा ओझा लोग इन देहाती लोगों को जो अशिक्षित, अनपढ़ व निर्धन हैं, उल्लू बनाकर दोनों हाथों से लूटते भी हैं और अपनी अज्ञानता से उनकी जान तक ले लेते हैं। यदि मैं डॉक्टर होता तो आवश्यकता पड़ने पर ऐसे ही देहातों में जाकर वहां के निवासियों की तरह-तरह की बीमारियों से रक्षा करता। साथ-ही-साथ उनको इन नीम-हकीम तथा ओझाओं से भी छुटकारा दिलाने का प्रयत्न करता।
आज के युग में प्रायः डॉक्टर अपने लिए धन-सम्पत्ति जुटाने में लगे रहते हैं। इसके लिए वे शहरों में रहकर बेचारे रोगियों को दोनों हाथों से लूटना प्रारम्भ कर देते हैं जो डॉक्टरी पेशे पर एक बदनुमा दाग है। ऐसा नहीं है कि हमें अपने और अपने परिवार के लिए धन-सम्पत्ति या सुख-सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है। सभी को इसकी आवश्यकता होती है, इसीलिए मैं भी धन-सम्पत्ति इकट्ठा तो करता परन्तु सच्ची सेवा द्वारा मानव-जाति को स्वस्थ रखना मेरे जीवन का ध्येय होता। यही डॉक्टरी पेशे की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
Hope it helps you!!!
Pls mark me as Brainliest!!!!!!!!!!