ईश्वर कण-कण में व्याप्त है लेकिन हम उसे
देव म्यो नहीं पाते?
plz answer in hindi......
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Answer:
आर्यम-सूत्र"*
*" कण-कण में ईश्वर!"*
ऋग्वेद में एक श्लोक आता है- *"ईशा वास्यम मिदं सर्वम यत किंचियाम जगत्याम जगत।"*
अर्थात ईश्वर इस जग के कण-कण में विद्यमान हैं। यह बात सार्वभौमिक सत्य भी है और हमारी वैदिक देशना का मूल तत्व भी है। भारतीय आध्यात्म व हिन्दू जीवन-दर्शन का अभिन्न सूत्र भी यही मूल वाक्य है। वैदिक-देशनाओं से अपने जीवन का परिपालन करने वाले बहुत से लोग जो अपने जीवन संस्कारों में बहुत सारे वैदिक शास्त्रों और मंत्रों का समावेश रखते हैं वे सब यह मानते हैं कि कण-कण में ईश्वर बसते हैं तो क्या किसी प्राणी में ईश्वर नही हैं! जब परमात्मा कण-कण में व्याप्त हैं तो हममें भी ईश्वर का वास है! जितना सागर समुद्र में है उतना ही एक चमच्च के अनुपात में भी है...
जारी...
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