ईदगाह कहानी में बाल मनोविज्ञान पर प्रकाश डालिए
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ईदगाह कहानी में बाल मनोविज्ञान पर प्रकाश डालिए
ईदगाह' भारत के महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की एक कहानी द्वारा लिखी गई है। यह कहानी एक लड़के के प्रति दादी के लिए प्यार और भावना की है | इस कहानी में छोटा लड़का जिसके मां-बाप की मौत हो चुकी थी, और वो अपनी दादी के पास रहता था और बहुत प्यार करता था| संघर्षों से पलते हुए, वो अपनी बचपन की ख्वाहिशों को पूरी करने के बावजूद अपनी दादी का ख्याल रखता था और ईद के रोज़ ईदगाह से लौटते हुए, जब सब बच्चे अपने लिए खिलौने खरीद रहे होते थे, तो वो दादी के लिए चिमटा खरीदता है क्योंकि वो जानता है कि रोज़ाना रोटी बनाते वक्त दादी का हाथ जल जाते थे । इस कहानी से छोटे से लड़के की सोच और बड़ो के लिए भावना बताती है |
यह एक बेहद नाज़ुक कहानी जो एक खूबसूरत नर्म अहसास को बताते हुए है, यह ज़िंदगी का मतलब अपनी ख्वाहिशों के अलावा कुछ औरभी है। किसी दूसरे का दर्द, उसके एहसास की इज़्ज़त करना भी ज़रूरी है।