India Languages, asked by 2008saranshkumar, 20 days ago

इकारान्त शब्द "संस्कृति' शब्द का रूप सभी विभक्तियों में लिखिए। tell me fast no scam​

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Answered by waizkazi14
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Answer:

वाक्‍य की सबसे छोटी इकाई को शब्‍द कहते हैं। शब्‍दों के अनेक रूप (सं

ज्ञा,

सर्वनाम, विशेषण आदि) होते हैं। व्‍याकरण की भाषा में िक्रयापदों को छोड़कर

वाक्य के अन्य पदों को नाम कहा जाता है। इस प्रकार किसी व्‍यक्ति, वस्‍, तु

स्‍थान, भाव (क्रिया) आदि का बोध कराने वाले शब्‍दों को सं

ज्ञा कहते हैं।

सं

स्‍कृत भाषा में प्रयोग करने के लिए इन शब्‍दों को 'पद' बनाया जाता है। सं

ज्ञा,

सर्वनाम आदि शब्‍दों को पद बनाने हेत इनमें प्र ु थमा, द्वितीया आदि विभक्तियाँ

लगाई जाती हैं। इन शब्‍दरूपों (पदों) का प्रयोग (पँल

ु्लिङ्ग, स्‍त्रीलिङ्ग और

नपं

सकु लिङ्ग तथा एकवचन, द्विवचन और बहु

वचन में भिन्‍न-भिन्‍न रूपों में)

होता है। इन्‍हें सामान्‍यतया शब्‍दरूप कहा जाता है।

सं

ज्ञा आदि शब्‍दों में जड़ने वाली व ु िभक्तियाँ सात होती हैं। इन विभक्ति‍यों

के तीनों वचनों (एक, द्वि, बहु) में बनने वाले रूपों के लिए जिन विभक्ति-प्रत्‍ययों

की पाणिनि द्वारा कल्‍पना की गई है, वे 'सपु' कहलाते हैं।

् इनका परिचय इस

प्रकार है—

विभक्ति एकवचन द्विवचन बहु

वचन

प्रथमा स (सु = :) ् औ जस (अस ् )

द्वितीया अम् औट् (औ) शस (अस ् )

तती

ृ या टा (आ) भ्‍याम

् भिस (् भि:)

चतुर्थी ङे (ए) भ्‍याम् भ्‍यस (् भ्‍य:)

पञ्चमी ङसि‍ (अस)

् भ्‍याम् भ्‍यस (् भ्‍य:)

षष्‍ठी ङस (अस ् )

् ओस (ओ:) ् आम्

सप्‍तमी ि‍ङ (इ) ओस (ओ:) ् सपु (स् )ये प्रत्‍यय शब्‍दों के साथ जड़कर अनेक रूप बनाते हैं। ु

इन विभक्तियों के अतिरिक्‍त सम्‍बोधन के लिए भी प्रथमा विभक्ति के ही

प्रत्‍ययों का प्रयोग किया जाता है, किन्‍ सम

तु ्‍बोधन एकवचन में प्रथमा एकवचन

से रूपों में अन्‍तर होता है। रूप निर्देश से रूपभेद को स्‍पष्‍ट किया गया है—

शब्‍दों के विभिन्‍न रूपों में भेद होने के कारण 'सं

ज्ञा' आदि शब्‍दों को तीन

वर्गों में विभक्‍त किया जा सकता है—

1. सं

ज्ञा शब्‍द

2. सर्वनाम शब्‍द

3. सं

ख्‍यावाचक शब्‍द

सं

ज्ञा शब्‍दों के अन्‍त में 'स्‍वर' अथवा व्‍यञ्जन होने के कारण इन्‍हें पन:

ु दो

वर्गों में रखा जा सकता है—

स्‍वरान्‍त (अजन्‍त)

स्‍वरान्‍त (अजन्‍त) अर्थात्जिन शब्‍दों के अन्‍त में अ, आ, इ, ई आदि स्‍वर होते

हैं, उन्‍हें स्‍वरान्‍त कहा जाता है। इनका वर्गीकरण इस प्रकार है—

अकारान्‍त, आकारान्‍त, इकारान्‍त, ईकारान्‍त, उकारान्‍त, ऊकारान्‍त,

ऋकारान्‍त, एकारान्‍त, ओकारान्‍त तथा औकारान्‍त आदि।

यथा— बालक, गरु, कव ु ि, नदी, लता, पित, गो आ ृ दि।

व्‍यञ्जनान्‍त (हलन्‍त)

जिन शब्‍दों के अन्‍त में क्, च, ट् ्, त्आदि व्‍यञ्जन होते हैं, उन्‍हें व्‍यञ्जनान्‍त

कहा जाता है। ङ्, ञ, ण् , ् य इन ् व्‍यञ्जनों को छोड़कर प्राय: सभी व्‍यञ्जनों से

अन्‍त होने वाले शब्‍द पाए जाते हैं। इनमें भी च, ज् , त् , ्द, ध् , न् , श् , ्ष, स् और ह ् ्

व्‍यञ्जनों से अन्‍त होने वाले शब्‍द अधिकतर प्रयुक्यु‍त होते हैं। अत: इनकी गणना

चकारान्‍त, जकारान्‍त, तकारान्‍त, दकारान्‍त, धकारान्‍त, नकारान्‍त, पकारान्‍त,

भकारान्‍त, रकारान्‍त, वकारान्‍त, शकारान्‍त, षकारान्‍त, सकारान्‍त, हकारान्‍त

आदि रूपों में की जाती है,

यथा— जलमचु, भ् भूतृ , श्् रीमत, जगत ् , राजन ् , ्दिश, प् यस आ् दि।

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