Hindi, asked by sanjaykumarpremani, 4 months ago

imandari ki shiksha par kahani ... plz help me plz​

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Answered by shaildevi6209
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Answer:

are bhai Google pe search kr lo plzz time nhi h warna tmhara help kr deta

Answered by kushagarwal2907
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Answer:

एक गाँव में मोहन नाम का एक लकड़हारा रहता था। वह गाँव के सबसे गरीब व्यक्ति में से एक था। उसके परिवार को दो वक्त का खाना भी इसी काम से मिल रही थी। एक दिन मोहन अपने पास के नदी किनारे लगे पेड़ को काट रहा था, तभी उसकी कुल्हाड़ी उस नदी में जा गिरी। मोहन पेड़ से उतरा ही था कि उसके सामने नदी की देवी सोने की कुल्हाड़ी लेकर उसके सामने खड़ी हो गयीं। देवी ने कहा, पुत्र! मैं नदी की देवी हूँ, तुम्हारी कुल्हाड़ी गिरने से तुम परेशान हो रहे थे इसलिए मैं तुम्हारी कुल्हाड़ी लेकर आई हूँ। मोहन ने कहा, माता! क्षमा करें लेकिन यह सोने की कुल्हाड़ी मेरी नहीं है। नदी की देवी, इस बार चाँदी की कुल्हाड़ी लिए मोहन के पास आई, पर मोहन ने चाँदी की कुल्हाड़ी को भी लेने से इनकार करते हुए कहा कि वह भी उसकी कुल्हाड़ी नहीं है। इस बार नदी की देवी ने लोहे का कुल्हाड़ी जो मोहन के स्वयं का था वह उसे दिया और इस बार मोहन ने प्रसन्नता के साथ उस कुल्हाड़ी को स्वीकार करते हुए देवी को धन्यवाद कहा। नदी की देवी, मोहन की ईमानदारी से बहुत प्रसन्न थी, इतना गरीब होने के पश्चात् भी मोहन ने लालच नहीं दिखाया, इस पर देवी ने मोहन को इनाम स्वरुप सोने और चाँदी से बनें दोनों कुल्हाड़ी पुरूस्कार के तौर पर दिए। ईमानदारी का पुरूस्कार पाकर मोहन आज बहुत खुश था।

शिक्षा- लालच न करें, ईमानदारी से अपना काम करते जाएँ जिंदगी आपको एक दिन पुरूस्कार देती है।

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