Hindi, asked by bishtseema233, 11 months ago

Importance of cleanliness for tourism industry eassy 250 words​

Answers

Answered by Niyati2006
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Answer:

The state of being free and clean from dirt and germs and the act of imbibing this as a habit is called cleanliness. Cleanliness is one of the best qualities a human being can possess. In fact, not only humans, even animals are known to keep their surroundings clean? How many times have you come across a scene where your pet is cleaning the surface before being seated on it?

Aspects of Cleanliness

Disease prevention and hygiene are said to be the two aspects associated with cleanliness. Maintaining hygiene does not necessarily mean keeping yourself clean. It includes your house, your neighbourhood, your city as well as keeping your country clean or keeping your surroundings clean. In this way, cleanliness has more of a cultural and social impact on society as a whole.

Importance of Keeping your Surroundings Clean

With the assistance of cleanliness, we can keep our mental as well as physical health clean, which will make us feel better. Cleanliness offers to ascend to a decent character by keeping the body, brain, and soul perfect and tranquil. Keeping up cleanliness is the basic piece of solid living since it is the cleanliness just which enhances our identity by keeping clean remotely and inside.

Conclusion

We should all do our bit to maintain cleanliness in the areas we live or visit. In fact, for this very purpose, the Government of India has initiated the Swacchh Bharat Abhiyan so as to educate and inculcate good habits among the citizens of the country with regards to cleanliness.

We should also be mindful towards this habit. We should stop others from throwing waste at undesignated places. It is the cumulative effort of all of us which can help us build a clean India someday.

Explanation:

पर्यटन का महत्त्व प्रत्येक देश में स्वीकार किया जा चुका है । पाश्चात्य जगत् के प्रख्यात विचारक मांटेन का कथन है कि पर्यटन के अभाव में कोई व्यक्ति पूर्ण शिक्षित नहीं कहा जा सकता । आधुनिक युग में प्रत्येक शिक्षा-प्रणाली में पर्यटन की योजना अनिवार्य रूप से सन्निविष्ट है ।

आदिकाल से मनुष्य पर्यटन का प्रेमी रहा है । मनुष्य की प्रकृति में पर्यटन का बीज परमपिता ने बोया । मानवीय सभ्यता उसी के प्रस्कुटन का परिणाम है । जैसा कि नाम से स्पष्ट है, पर्यटन का तात्पर्य देश-विदेश में परिभ्रमण है । पर्यटन निरुद्‌देश्य नहीं होता ।

पर्यटन की प्रेरणा राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, व्यावसायिक, व्यापारिक आदि अनेक कारणों से प्राप्त हो सकती है । इनके अतिरिक्त मनोरंजन, अनुसंधान, अध्ययन, स्वास्थ्य-लाभ अथवा अन्य व्यक्तिगत कारण भी पर्यटन के मूल में हो सकते हैं । सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए संसार के सभी सभ्य देशों के बीच नागरिकों की यात्रा अब नित्य की दिनचर्या है ।

विद्याध्ययन के लिए एक देश के छात्र दूसरे देश में जाते हैं । ऐसी यात्राओं से व्यक्तिगत उद्‌देश्यों के साथ-साथ राष्ट्रीय उद्‌देश्यों की पूर्ति भी होती है । पर्यटन में देश-दर्शन की भावना सर्वोपरि होती है । प्रकृति की विविध मनोहारी छटाओं को चुरा-चुराकर हृदय में रखते जाना; उसकी सुषमा से नेत्र और मन को तृप्त करते जाना; मार्ग में आनेवाले नगरों, भवनों, वन-प्रांतरों आदि की शोभा और ग्रामश्री का आस्वादन करते जाना चाहिए ।

सौभाग्य से समस्या-संकुल इस व्यस्त संसार में संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन् १९६७ को ‘अंतरराष्ट्रीय पर्यटन वर्ष’ घोषित किया था । संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने ४ नवंबर, १९६६ को यह निर्णय लिया । इस प्रकार प्रथम बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को बहुत महत्त्व दिया गया ।

हमारे लिए एक और दृष्टि से भी इसका महत्त्व है । इसमें विकासशील देशों में पर्यटन को प्रोत्साहन देने पर विशेष बल दिया गया था । इसलिए पर्यटन को उद्योग के रूप में अपनाने और उसका प्रचार करने का सन् १९६७ में हमें बड़ा सुअवसर प्राप्त हुआ । कारण, भारत बहुत बड़ा देश है और यहाँ पर्यटन के विकास की काफी संभावनाएँ हैं ।

विदेशी पर्यटकों के लिए भारत में अनेक आकर्षण हैं । विगत पंद्रह-सोलह वर्षों में विदेशी पर्यटकों की संख्या में ८० प्रतिशत की वृद्धि हुई है, फिर भी अभी और वृद्धि की संभावना है । परंतु इसमें हमारे सीमित साधन बाधक हैं, जिसके कारण यहाँ पर्यटकों के ठहरने के स्थान, परिवहन, मनोरंजन आदि की सुविधाएँ बहुत अधिक नहीं बढ़ाई जा सकतीं; किंतु संगठित प्रयत्न करके कम-से-कम समय में उसे दूर किया जा सकता है । सरकार की ओर से कोलकाता, मुंबई, वाराणसी, उदयपुर, बंगलौर तथा अन्य महत्त्वपूर्ण स्थानों में होटलों के निर्माण और विस्तार की योजना है ।

Answered by nikhilkrM
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Answer:

Cleanliness is an important quality of life. In fact, it is a habit which is often considered just next to godliness. Cleanliness is a habit not related to the wealth of a person, rather it is a habit which depicts the qualities a person is enriched with. To make the children aware of such a necessary quality of life, we have come up with short essays for children along with some long essays as well. These essays will not only make the children irrespective of their classes understand about cleanliness and its advantages in our lives but shall motivate them towards imbibing this quality in their everyday life as well.

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