Hindi, asked by vrahi6800, 1 year ago

Importance of women in samaj sa in hindi

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Answered by jaiswalram249ram
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प्राचीन युग से ही हमारे समाज में नारी का विशेष स्थान रहा है । हमारे पौराणिक ग्रंथों में नारी को पूज्यनीय एवं देवीतुल्य माना गया है । हमारी धारणा रही है कि देव शक्तियाँ वहीं पर निवास करती हैं जहाँ पर समस्त नारी जाति को प्रतिष्ठा व सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है ।

इन प्राचीन ग्रंथों का उक्त कथन आज भी उतनी ही महत्ता रखता है जितनी कि इसकी महत्ता प्राचीन काल में थी । कोई भी परिवार, समाज अथवा राष्ट्र तब तक सच्चे अर्थों में प्रगति की ओर अग्रसर नहीं हो सकता जब तक वह नारी के प्रति भेदभाव, निरादर अथवा हीनभाव का त्याग नहीं करता है ।

प्राचीन काल में भारतीय नारी को विशिष्ट सम्मान व पूज्यनीय दृष्टि से देखा जाता था । सीता, सती-सावित्री, अनसूया, गायत्री आदि अगणित भारतीय नारियों ने अपना विशिष्ट स्थान सिद्‌ध किया है । तत्कालीन समाज में किसी भी विशिष्ट कार्य के संपादन मैं नारी की उपस्थिति महत्वपूर्ण समझी जाती थी ।

कालांतर में देश पर हुए अनेक आक्रमणों के पश्चात् भारतीय नारी की दशा में भी परिवर्तन आने लगे । नारी की स्वयं की विशिष्टता एवं उसका समाज में स्थान हीन होता चला गया । अंग्रेजी शासनकाल के आते-आते भारतीय नारी की दशा अत्यंत चिंतनीय हो गई । उसे अबला की संज्ञा दी जाने लगी तथा दिन-प्रतिदिन उसे उपेक्षा एवं तिरस्कार का सामना करना पड़ा ।

राष्ट्रकवि ‘मैथिली शरण गुप्त’ ने अपने काल में बड़े ही संवेदनशील भावों से नारी की स्थिति को व्यक्त किया है:

”अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी ।

आँचल में है दूध और आँखों में पानी ।

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