In Ramayan Sita ke bare mein 20 panktiyan in Hindi
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राम राजा दशरथ के पुत्र थे और राजा दशरथ सबसे ज्यादा राम कोई प्रेम करते थे और वह किसी से भी बहुत कुशलता से पेश आते थे और बात करते थे उनका विवाह एक सुंदर पत्नी से हुआ और एक बार की बात है राजा दशरथ की सबसे छोटी रानी केकई ने दो वरदान मांगे पहिला की राम का वन गमन और दूसरा राजा भरत बने तो राजा तो बेसुध पड़ गए उन्होंने कैकई को बहुत समझाया पर वह नहीं मानी और बोली कि मुझे यह दोनों वरदान चाहिए तो रात भर राजा बेसुध पड़े रहे और सुबह होते ही राम को अपने कमरे में बुलाया और उन्हें सारी बात बताई तो राम ने कहा कि ठीक है पिताजी मैं चले जाता हूं वन तो उन्होंने अपने साथी को कहा कि चलो सारथी आज हमें बन जाना है और यह बात पूरे महल में फैल चुकी थी और सारे लोग बहुत विचलित थे वह सीता के पास गए तो सीता ने बोली कि मैं भी आपके साथ चलूंगी बन क्योंकि मैंने अभी आपका साथ निभाने का साथ फेरन लिया है उसके बाद हुआ लक्ष्मण के पास गए वह भी बोले कि मैं भी आपके साथ चलूंगा तो राम ने उन्हें बहुत समझाया बुझाया पर वह नहीं समझे तो राम ने कहा ठीक है तुम भी चलो मेरे साथ वन पर अपनी मां से आज्ञा ले लो मां ने कहा बेटा मैं तो उसी दिन कह चुकी हूं कि तेरे माता पिता राम और सीता ही है तू उनके साथ जा सकता है फिर राम अपनी मां के पास गए तो बोले कि मां मुझे आज्ञा दो बन जाने की तो उनकी मां ने बोला कि नहीं मैं आ गया नहीं देती हूं तुम्हें बन जाने की क्योंकि वह कैकई के बाद में आ गए हैं फिर राम ने बोला मां पिताजी की आज्ञा तो पिताजी की आज्ञा है उन्हें तो मुझे पालन करना पड़ेगा मां तुम भी उनका आज्ञा पालन करो मां ने कहा बेटा तू जिस आज्ञा का पालन कर रहा है वह आ गया तेरा रक्षा करेगा फिर वह लोग खुशी-खुशी बन जाने लगे वह लोग तपस्वी के वस्त्र पहन लिए और बन जा रहे थे तो वह बीच में तमसा नदी को पार कर कर फिर वह गोदावरी नदी को पार कर कर वह जाने लगे तो तभी राम के आंखों में आंसू आ गया क्योंकि वह अपने जन्मभूमि को 14 साल तक छोड़कर जा रहे हैं
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