इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए— मैं कहता निर्मोही रहियो, तू जाता है मोही रे।
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ये पंक्तियां संत कबीर द्वारा रचित पद से ली गई हैं। इन पंक्तियों में संत कबीर मानव मन की चंचलता का वर्णन करते हैं।
इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि हे मानव मैं तुम्हें कहता हूं कि तुम मोह और माया के बंधन को छोड़ दो, जगत का मोह छोड़कर निर्मोही बन जाओ, लेकिन तुम अपने आप को मोह-माया के जाल में उलझा लेते हो।
यहां इन पंक्तियों में कबीर का तात्पर्य है कि सच्चे ज्ञान अर्थात ईश्वर को पाना है तो जगत के मोह-माया को त्याग कर ईश्वर में ही ध्यान लगाना पड़ेगा. तभी ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है।
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