Hindi, asked by abhishek3232, 1 year ago

इनसान यहाँ है यान से पहुचा​

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Answered by Nitinsingh192
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जब बंगाल की खाड़ी में एक द्वीप से एक रॉकेट आज चंद्रयान-2 को लेकर अपनी यात्रा शुरू करेगा तो यह भारत के अंतरिक्ष में बढ़ती महत्वाकांक्षा को भी चांद के पार ले जाएगा.

भारत का चाँद पर यह दूसरा मिशन है. भारत चाँद पर तब अपना मिशन भेज रहा है जब अपोलो 11 के चाँद मिशन की 50वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है.

भारत का चंद्रयान-2 चाँद के अपरिचित दक्षिणी ध्रुव पर सितंबर के पहले हफ़्ते में लैंड करेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि चाँद का यह इलाक़ा काफ़ी जटिल है. वैज्ञानिकों के अनुसार यहां पानी और जीवाश्म मिल सकते हैं.

मुंबई स्थित थिंक टैंक गेटवे हाउस में 'स्पेस एंड ओशन स्टडीज' प्रोग्राम के एक रिसर्चर चैतन्य गिरी ने वॉशिगंटन पोस्ट से कहा है, ''चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर कोई अंतरिक्षयान पहली बार उतरेगा. इस मिशन में लैंडर का नाम विक्रम दिया गया है और रोवर का नाम प्रज्ञान है. विक्रम भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम के पहले प्रमुख के नाम पर रखा गया है.

लैंडर वो है जिसके ज़रिए चंद्रयान पहुंचेगा और और रोवर का मतलब उस वाहन से है जो चाँद पर पहुंचने के बाद वहां की चीज़ों को समझेगा. मतलब लैंडर रोवर को लेकर पहुंचेगा.

इसरो का कहना है कि अगर यह मिशन सफल होता है तो चंद्रमा के बारे में समझ बढ़ेगी और यह भारत के साथ पूरी मानवता के हक़ में होगा.

इसरो प्रमुख के सिवन ने एनडीटीवी से कहा है कि विक्रम के लिए लैंड करते वक़्त 15 मिनट का वो वक़्त काफ़ी जटिल है और इतने जटिल मिशन को कभी अंजाम तक इसरो ने नहीं पहुंचाया है.

भारत ने इससे पहले चंद्रयान-1 2008 में लॉन्च किया था. यह भी चाँद पर पानी की खोज में निकला था. भारत ने 1960 के दशक में अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू किया था और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजेंडे में यह काफ़ी ऊपर है.

2022 तक भारत चाँद पर किसी अंतरिक्ष यात्री को भेजने की योजना पर काम कर रहा है. अंतरिक्ष विज्ञान पर किताब लिखने वाले मार्क विटिंगटन ने सीएनएन से कहा है, ''भारत ने फ़ैसले लेने शुरू कर दिए हैं और इससे वो अंतरिक्ष में एक बड़ी शक्ति के तौर पर उभरेगा. भारत को यह अहसास है कि अंतरिक्ष में कई कार्यक्रमों को अब बढ़ाने का वक़्त आ गया है.''

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