Hindi, asked by neelaashar6530, 1 year ago

Indian flag paragraph in hindi

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Answered by AryanPanda
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भारत के राष्ट्रीय ध्वज़

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज़ को तिरंगा झंडा भी कहा जाता है। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा के सम्मेलन के दौरान इसे पहली बार आधिकारिक रुप से अंगीकृत किया गया। अंग्रेजी हुकुमत से भारत की स्वतंत्रता के 24 दिन पहले ही इसे अंगीकृत किया गया। इसे पिंगाली वैंकया द्वारा डिज़ाइन किया गया था। एक बराबर अनुपात में, ऊर्द्धवाकार में केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टी के साथ डिज़ाइन किया गया था। इसमें सबसे ऊपर की पट्टी में केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे की पट्टी में गाढ़ा हरा रंग है। हमारे तिरंगे झंडे की लंबाई और चौड़ाई 3:2 के अनुपात में है। तिरंगे के मध्य सफेद पट्टी में 24 तीलियों के साथ एक अशोक चक्र है। सारनाथ के अशोक स्तंभ से अशोक चक्र को लिया गया है (अशोक की लॉयन कैपिटल राजधानी)।

हम सभी के लिये हमारे राष्ट्रीय ध्वज़ का बहुत महत्व है। सभी रंगों की पट्टियाँ, पहिया और तिरंगे में इस्तेमाल होने वाले कपड़े का खास महत्व है। भारतीय ध्वज़ कोड इसके इस्तेमाल और फहराने के नियम को निर्धारित करता है। भारत की आजादी के 52 वर्ष के बाद भी इसे आम लोगों के द्वारा प्रदर्शन या फहराने की इज़ाज़त नहीं थी हालाँकि बाद में नियम को बदला गया (ध्वज़ कोड 26 जनवरी 2002 के अनुसार) और इसको घर, कार्यालय और फैक्टरी में कुछ खास अवसरों पर इस्तेमाल करने की छूट दी गयी। राष्ट्रीय ध्वज़ को राष्ट्रीय अवसरों पर फहराया जाता है जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस आदि। भारतीय ध्वज़ को सम्मान और आदर करन के लिये तथा विद्यार्थियों को प्रेरणा देने के लिये इसे स्कूल और शिक्षण संस्थानों (कॉलेज, विश्वविद्यालय, खेल कैंप, स्कॉऊट कैंप आदि) में भी फहराया जाता है।

स्कूल और कॉलेज में झंडा रोहण के दौरान विद्यार्थी प्रतिज्ञा लेते हैं और राष्ट्र-गान गाते हैं। सरकारी और निजी संगठन भी किसी भी अवसर या कार्यक्रम में राष्ट्रीय ध्वज़ को फहरा सकते हैं। किसी भी सांप्रदायिक और निजी फायदे के लिये ऱाष्ट्रीय ध्वज़ को फहराने की सख्त मनाही है। किसी को भी ख़ादी के अलावा किसी दूसरे कपड़े से बने तिरंगे को फहराने की अनुमति नहीं है ऐसा करने पर जेल और अर्थदंड की व्यवस्था है। राष्ट्रीय ध्वज़ को किसी भी मौसम में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच में फहराया जा सकता है। इसे जमीन से स्पर्श कराने या पानी में डुबाने, तथा जानबूझकर अपमान करने की सख्त मनाही है। कार, बोट, ट्रेन या हवाई जहाज जैसे किसी भी सवारी के बगल, पिछले हिस्से, सबसे ऊपर या नीचे को ढकने के लिये इसका प्रयोग नहीं होना चाहिये।

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