Indira Gandhi पर निबंध in 150 words
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Short Essay on 'Indira Gandhi' in Hindi | 'Indira Gandhi' par Nibandh (230 Words)
in Famous Personalities of India, Freedom Fighters of India, Prime Ministers of India
इन्दिरा गांधी
'इन्दिरा गांधी' का पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी था। उनका जन्म 19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जवाहरलाल नेहरु था जो स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनकी माता का नाम कमला नेहरू था। उनके दादा का नाम मोतीलाल नेहरु था।
इन्दिरा गांधी ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, शान्तिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व-भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। इसके पश्चात आगे शिक्षा ग्रहण करने हेतु वह इंग्लैंड चली गईं। वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं। इन्दिरा गांधी ने फ़िरोज़ गांधी से विवाह किया एवं राजीव और संजय दो पुत्रों को जन्म दिया।
इन्दिरा गांधी भारत देश की तृतीय प्रधानमंत्री बनीं। वे वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमंत्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 31 अक्टूबर 1984 में उनकी हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं।
इन्दिरा गांधी एक ऐसी महिला थीं, जो न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वह विलक्षण प्रभाव छोड़ गईं। उन्हें लौह महिला के नाम से भी संबोधित किया जाता है। अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए 'विश्वराजनीति' के इतिहास में इन्दिरा गांधी का नाम सदैव याद रखा जाये
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भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी। एक ऐसी महिला जो न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वह विलक्षण प्रभाव छोड़ गईं। यही वजह है कि उन्हें लौह महिला के नाम से संबोधित किया जाता है। श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म नेहरु खानदान में हुआ था। वह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की इकलौती पुत्री थीं। आज इंदिरा गांधी को सिर्फ इस कारण नहीं जाना जाता कि वह पंडित जवाहरलाल नेहरु की बेटी थीं बल्कि इंदिरा गांधी अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए 'विश्वराजनीति' के इतिहास में हमेशा जानी जाती रहेंगी।
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम था-'इंदिरा प्रियदर्शिनी'। उन्हें एक घरेलू नाम भी मिला था जो इंदिरा का संक्षिप्त रूप 'इंदु' था। उनके पिता का नाम जवाहरलाल नेहरु और दादा का नाम मोतीलाल नेहरु था। पिता एवं दादा दोनों वकालत के पेशे से संबंधित थे और देश की स्वाधीनता में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। माता का नाम कमला नेहरु था। इंदिराजी का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था जो आर्थिक एवं बौद्धिक दोनों दृष्टि से काफी संपन्न था। उनका इंदिरा नाम उनके दादा पंडित मोतीलाल नेहरु ने रखा था। जिसका मतलब होता है कांति, लक्ष्मी, एवं शोभा। इस नाम के पीछे की वजह यह थी कि उनके दादाजी को लगता था कि पौत्री के रूप में उन्हें मां लक्ष्मी और दुर्गा की प्राप्ति हुई है।
इंदिरा के अत्यंत प्रिय दिखने के कारण पंडित नेहरु उन्हें 'प्रियदर्शिनी' के नाम से संबोधित किया करते थे। चूंकि जवाहरलाल नेहरु और कमला नेहरु स्वयं बेहद सुंदर तथा आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक थे,इस कारण सुंदरता उन्हें अपने माता-पिता से प्राप्त हुई थी। इन्दिरा को उनका 'गांधी' उपनाम फिरोज गांधी से विवाह के बाद मिला था। इंदिरा गांधी को बचपन में भी एक स्थिर पारिवारिक जीवन का अनुभव नहीं मिल पाया था। इसकी वजह यह थी कि 1936 में 18 वर्ष की उम्र में ही उनकी मां कमला नेहरू का तपेदिक के कारण एक लंबे संघर्ष के बाद निधन हो गया था और पिता हमेशा स्वतंत्रता आंदोलन में व्यस्त रहे।
पंडित जवाहरलाल नेहरु शिक्षा का महत्त्व काफी अच्छी तरह समझते थे। यही कारण है कि उन्होंने पुत्री इंदिरा की प्राथमिक शिक्षा का प्रबंध घर पर ही कर दिया था। बाद में एक स्कूल में उनका दाखिला करवाया गया। 1934-35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद इंदिरा ने शांतिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर के बनाए गए 'विश्व-भारती विश्वविद्यालय' में प्रवेश लिया।
इसके बाद 1937 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। बचपन से ही इंदिरा गांधी को पत्र पत्रिकाएं तथा पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक था जो स्कूल के दिनों में भी जारी रहा। इसका एक फायदा उन्हें यह मिला कि उनके सामान्य ज्ञान की जानकारी सिर्फ किताबों तक ही सीमित नहीं रही बल्कि उन्हें देश दुनिया का भी काफी ज्ञान हो गया और वह अभिव्यक्ति की कला में निपुण हो गईं। विद्यालय द्वारा आयोजित होने वाली वाद- विवाद प्रतियोगिता में उनका कोई सानी नहीं था।
बावजूद इसके वह हमेशा ही एक औसत दर्जे की विद्यार्थी रहीं। अंग्रेजी के अतिरिक्त अन्य विषयों में वह कोई विशेष दक्षता नहीं प्राप्त कर सकीं। लेकिन अंग्रेजी भाषा पर उन्हें बहुत अच्छी पकड़ थी। इसकी वजह थी पिता पंडित नेहरू द्वारा उन्हें अंग्रेजी में लिखे गए लंबे-लंबे पत्र। चुकि पंडित नेहरु अंग्रेजी भाषा के इतने अच्छे ज्ञाता थे कि लॉर्ड माउंटबेटन की अंग्रेजी भी उनके सामने फीकी लगती थी।
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