is paragraph ka meaning in hindi आ रही हिमालय से पुकार,
है उदधि गरजता बार बार।
प्राची पश्चिम भू नभ अपार
सब पूछ रहे हैं दिग-दिगन्त ।
वीरों का कैसा हो वसंत?
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हिमालय से पुकार,
है उदधि गरजता बार बार।
प्राची पश्चिम भू नभ अपार
सब पूछ रहे हैं दिग-दिगन्त ।
वीरों का कैसा हो वसंत?
संदर्भ : यह पंक्तियां ‘सुभद्रा कुमारी चौहान’ द्वारा रचित कविता ‘वीरों का कैसा हो वसंत’ से ली गई है। इन पंक्तियों का भावार्थ इस प्रकार है...
भावार्थ : कवयित्री कहते हैं कि हिमालय बार-बार पुकार रहा है। सागर भी बार-बार गरज रहा है। चारों दिशाओं में चाहे पूरब हो या पश्चिम, उत्तर हो या दक्षिण या समस्त दसों दिशाएं हो। चारों तरफ यही प्रश्न उभर रहा है कि वीरों का बसंत कैसा होना चाहिए।
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