इस गदयांश को पढकर प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-
मनुष्य का जीवन कर्म-प्रधान है। मनुष्य को निष्काम भाव से सफलता-असफलता की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों का पालनकरना है। आशा और निराशा के चक्र में फंसे बिना उसे लगातार कर्तव्यनिष्ठ रहना है। किसी भी कर्तव्य की पूर्णता परसफलता अथवा असफलता प्राप्त होती है) असफल व्यक्ति निराश हो जाता है, किंतु, मनीषियों ने असफलता को भी सफलताकी कुंजी कहा है। असफल व्यक्ति अनुभव की संपति अर्जित करता है, जो उसके भावी जीवन का निर्माण करती है जीवन मअनेक बार ऐसा होता है कि हम जिस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए परिश्रम करते है, वह पूरा नहीं होता है। ऐसे अवसर परसारा परिश्रम व्यर्थ हो गया सा लगता है और हम निराश होकर चुपचाप बैठ जाते है उद्देश्य की पूर्ति के लिए पुनः प्रयत्न नहीं
करते। हमें विध्न-बाधाओं की चिंता किए बिना कर्तव्यों के मार्ग पर चलते रहने में जो आनंद एवं उत्साह मिलता है वहीं जीवनकी सार्थकता होती है या मिलती है।
que /ans
1. सफलता कब प्राप्त होती है?
2. कर्तव्य-पालन में मनुष्य के भीतर कैसा भाव होना चाहिए?
3. जीवन में असफल होने पर क्या करना चाहिए?
4. 'निष्काम और मनीषियों' शब्दों के अर्थ लिखिए
5. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
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(1).आशा और निराशा के चक्र में फंसे बिना उसे लगातार कर्तव्यनिष्ठ रहना है। किसी भी कर्तव्य की पूर्णता परसफलता अथवा असफलता प्राप्त होती है)
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- ans is in pic ☝️
आंसर इज वेल पिक
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