इस हुजूम में आगे - आगे चल रहे हैं . सालिम अली । अपने कथों पर , सैलानियों की तरह अपने अंतहीन सफ़र का बोझ उठाए । लेकिन यह सफ़र पिछले तमाम सफ़रों से भिन्न है । भीड़ - भाड़ की जिंदगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है । अब तो वो उस वन पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं , जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो । कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा !
ANSWER THE FOLLOWING:
क - सालिम अली के अंतिम सफर का वर्णन करिए ।
ख - कौन किसकी तरह किसमें विलीन हो रहा है ?
ग - यह सफर उनके तमाम सफरों से भिन्न कैसे है ?
Answers
Answer:
साँवले सपनों की याद. इस हुजूम में आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली। अपने कंधें पर सैलानियो की तरह अपने अंतहीन सफर को बोझ उठाए। लेकिन यह सफर पिछले तमाम सफरों से भिन्न है। भीड़-भाड़ की जिंदगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है। अब तो वेा उस वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं, जो जिंदगी को आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो। कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा।
Explanation:
हुजूम में आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली। अपने कंधों पर सैलानियों की तरह अपने अंतहीन सफर का बोझ उठाए। लेकिन यह सफर पिछले तमाम सफरों से भिन्न है। भीड़-भाद की जिंदगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है। अब तो वो उस वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं, जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो। कोई अपने जिस्म को हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा
प्रश्न- क उपरोक्त पंक्तियां किस पाठ से ली गई है? इसके लेखक का नाम भी लिखिए |