इस कहानी को पढ़कर आपकी समाज मे दीन दुखियों के प्रती क्या नजरियाँ पैदा होता हैं विस्तार में लिखो? (दुख का अधिकार)
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भगवाना पास में ही एक जमीन पर कछियारी करके अपना निर्वाह करता था। वह उस जमीन में खरबूजे उगाता था। वहाँ से वह खरबूजे तोड़कर लाता था और बेचता था। कभी-कभी वह स्वयं दुकानदारी करता था तो कभी दुकान पर उसकी माँ बैठती थी।
बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आई कि उस संभ्रांत महिला के पुत्र की मृत्यु पिछले साल ही हुई थी। पुत्र के शोक में वह महिला ढ़ाई महीने बिस्तर से उठ नहीं पाई थी। उसकी तीमारदारी में डॉक्टर और नौकर लगे रहते थे। शहर भर के लोगों में उस महिला के शोक मनाने की चर्चा थी।
Explanation:
लेखक एक संभ्रांत वर्ग से आता है। उसने अपनी संपन्नता के हिसाब से कपड़े पहने हुए थे। इसलिए वह झुककर या उस बुढ़िया के पास बैठकर उससे बातें करने में असमर्थ था। इसलिए वह उस स्त्री के रोने का कारण नहीं जान पाया।
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