इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।(पाठ - 'अग्नि पथ')
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उत्तर :
‘अग्निपथ’ कविता का मूल भाव मानव को जीवन के कठिन मार्ग पर हमेशा चलते रहने की ओर प्रेरित करता है ताकि वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। जीवन की राह पर चलते हुए हार जाना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन हार कर काम छोड़ देना बुरा है । प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सुखों की प्राप्ति की इच्छा करता है पर केवल कामना करने से इच्छाएं पूरी नहीं हो पाती। उसके लिए पसीना बहाना पड़ता है,संघर्ष करना पड़ता है और खून बहाना पड़ता है। मानव ने ऐसा ही किया है तभी तो वह अन्य सभी प्राणियों से श्रेष्ठ है । कवि ने प्रेरणा दी है कि हम जहां भी हैं उस से संतुष्ट न हो ।हम आगे बढ़े। निरंतर आगे बढ़ना ही जीवन है। आंसू, पसीने और खून से लथपथ होने पर भी लगातार आगे बढ़ते रहना चाहिए।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
Answer:
utsah Kavita Ek are vahan Geet hai jo badal ko sambodhit karke likha gaya hai Kavita ka shirshak Versha isliye Rakha Gaya Hoga Kyunki Badal Versha Karke Boond Ke Pyase Logon Ko santusht karta hai