इस कविता में बादल के लिए ऐ विप्लव के वीर! ऐ जीवन के पारावार! जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। बादल राग कविता के शेष पांँच खंडों में भी कई संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे - अरे वर्ष के हर्ष!, मेरे पागल बादल!, ऐ विप्लव के प्लावन!, ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार! उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बताएँ कि बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य है ?
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व्याख्या तथा औचित्य निम्नलिखित हैं
Explanation:
अरे वर्ष के हर्ष : बादल वर्ष भर के बाद वर्षा ऋतु में आते हैं। अतः हर्ष के कारण होते हैं। यह संबोधन उचित ही है।
मेरे पागल बादल : कवि का बादल को पागल कहना सही है। बादल पागलपन की हद तक मस्त होते हैं।
ऐ विप्लव के प्लावन : बादल विप्लव को लाते हैं। अतः यह संबोधन सटीक है।
ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार : बादल चंचल शिशु के समान सुकुमार भी होते हैं। अतः यह संबोधन उचित है।
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