इस कविता में मारी को के प्रति व्यक्त विचारों पर टिप्पणी लिखिए
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hey mates
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निराला के देखने का दायरा बहुत बड़ा था. ‘देखना’ वेदना से गुज़रना है. उन्होंने ‘टूक कलेजे के करता’ हुआ अपने सा ही एक आदमी देखा. अपने शहर के रास्ते पर ‘गुरु हथौड़ा हाथ लिए’ पत्थर तोड़ती हुई औरत देखी. सभ्यता की वह राह देखी जहां से ‘जनता को पोथियों में बांधे हुए ऋषि-मुनि’ आराम से गुज़र गए. चुपके से प्रेम करने वाला ‘बम्हन लड़का’ और उसकी ‘कहारिन’ प्रेमिका देखी.
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’. (जन्म: 21 फरवरी 1896 – मृत्यु: 15 अक्टूबर 1961) (फोटो साभार: हिंदी कविता/यूट्यूब)
21 फरवरी 1896 को जन्मे निराला को ‘महाप्राण’ कहा गया. हिंदी या किसी अन्य भारतीय भाषा में ऐसा अर्थ-गांभीर्य लिए उपनाम शायद किसी अन्य को प्राप्त नहीं हुआ.उन्हें ‘महाप्राण’ से संबोधित किए जाने के कई आधार हो सकते हैं. एक उनका अपना जीवन जिसके बारे में उन्होंने कहा था,