Hindi, asked by saiteja6223, 10 months ago

इस कविता में और भी टिप्पणी - योग्य पद - प्रयोग हैं। ऐसे किसी एक प्रयोग का अपनी ओर से उल्लेख कर उस पर टिप्पणी करें।

Answers

Answered by nikitasingh79
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इस कविता में टिप्पणी - योग्य पद - प्रयोग निम्न प्रकार से है -  

मुसकाता चांद :  

मुसकाता चांद अर्थात मुस्कुराता हुआ चंद्रमा। रात्रि के गहन अंधकार में जब चंद्रमा अपनी शीतल चांदनी लेकर उदित होता है तो वह चारों ओर व्याप्त अंधकार को मिटाकर अपने उज्जवल चांदनी बिखेर देता है। रात्रि के अंधकार पर फैला चंद्रमा मुस्कुराता हुआ प्रतीत होता है। उसी प्रकार कवि की आत्मा पर ईश्वर का चेहरा या स्वरूप खिलता है या मुस्कुराता रहता है। कवि की आत्मा पर प्रभु का स्वरूप चांद की तरह मुस्कुराता हुआ छाया रहता है। इसलिए कवि ने प्रभु को मुसकाता चांद कहां है।  

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

 

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :

व्याख्या कीजिए :

जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है

जितना भी उँड़ेलता हूँ, भर-भर फिर आता है

दिल में क्या झरना है ?

मीठे पानी के सोता है

भीतर वह, ऊपर तुम

मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर

मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है !

…….

https://brainly.in/question/15410931

बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है - और कविता के शीर्षक सहर्ष स्वीकारा है में आप कैसे अंतर्विरोध पाते है। चर्चा कीजिए।

https://brainly.in/question/15410924

Answered by Anonymous
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Explanation:

इस कविता में और भी टिप्पणी - योग्य पद ... ऐसे किसी एक प्रयोग का अपनी ओर से उल्लेख कर उस पर ...उसके अनुसार सफेद महुए की लापसी संसार भर के हलवे को लजा सकती है। भक्तिन ने लेखिका को अपनी देहाती भाषा भी सिखा दी। इस प्रकार महादेवी भी देहाती बन गई। महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उभरती हैं।

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