इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?
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उत्तर :
बचपन सदा ही अनेक खट्टी-मीठी यादों से बड़ा होता है। हमारे बचपन में अनेक ऐसी घटनाएं होती है जो हमें आजीवन याद रहती हैं । व्यक्ति बचपन की आदतों को याद करके बाद में कई बार रोमांचित होता है। बचपन में व्यक्ति सब प्रकार की चिंताओं से बेपरवाह होता है। इस पाठ के आरंभ में ही लेखक का अपने बचपन में साथियों के साथ झरबेरी के बेर को तोड़कर खाना और इधर उधर घूमने का वर्णन है। लेखक और उसके साथी रास्ते में पड़ने वाले कुएं में झांककर और ढेला फेंककर शरारत करते थे। कुएं का सांप फुफंकारता है तो उन्हें बड़ा मज़ा आता है। बचपन में मुश्किल से मुश्किल काम करने को भी तैयार हो जाते हैं। लेखक का सांप वाले कुएं में घुसकर चिट्टियां निकालने का निर्णय लेना भी ऐसा ही असंभव काम था।
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Answer:
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Explanation:
बच्चे कौतूहल प्रिय और जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं। उनकी
जिज्ञासा व पीड़ा उनको निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा कर देती है।
इस पाठ में लेखक उनके भाई व उनके साथियों की बाल सुलभ
शरारतों का पता चलता है। वे इस प्रकार हैं
बच्चे झरबेरी से बेर तोड़कर खाने का आनंद लेते हैं।
कठिन व जोखिम पूर्ण कार्य करते हैं।
माली से छुप-छुपकर पेड़ों से आम आदि फल तोड़ना पसंद
करते हैं।
बच्चे स्कूल जाते समय रास्ते में शरारत करते हैं।
रास्ते में चलते-चलते डंडे की सहायता से वस्तुओं को बिखेरना
पसंद करते हैं।
बच्चे कुएँ में ढेला फेंक कर खुश होते हैं।
वे जानवरों जीव-जन्तुओं को तंग करते हैं।