Hindi, asked by MasterMinecraft, 3 days ago

इस संस्कृत श्लोक का अर्थ बताइये​

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Answered by guriya16101995
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यहाँ संस्कृत के सुन्दर वचनों का संकलन है। प्रथम श्लोक में सुभाषितों का महत्त्व बताया गया है। इस संसार में जल, अन्न और सुभाषित-ये तीन ही रत्न बताए गए हैं। हीरा, पन्ना आदि पत्थर के टुकड़ों को रत्न कहना व्यर्थ है।दूसरे श्लोक में सत्य की महिमा बताई गई है। इस संसार में पृथ्वी, सत्य पर टिकी है। सूर्य, सत्य के आश्रय से तपता है। सारा विश्व सत्य पर टिका हुआ है। . तीसरे श्लोक में कहा है कि इस पृथ्वी पर अनेक रत्न हैं। यथा-दान, तप, शौर्य, विनय इत्यादि। ये सभी रत्न परमात्मा प्रदत्त हैं।

चौथे श्लोक में सज्जन की महिमा कही है। हमें सज्जनों के साथ बैठना चाहिए। सज्जनों का साथ करना चाहिए और उनके साथ ही मित्रता करनी चाहिए। पाँचवें श्लोक में कहा है कि व्यक्ति को ज्ञान के संग्रह में, आहार तथा व्यवहार के विषय में संकोच नहीं करना चाहिए। छठे श्लोक में क्षमा का महत्त्व बताया गया है। जिस व्यक्ति के पास क्षमा रूपी हथियार है, उसका दुष्ट व्यक्ति कुछ बिगाड़ नहीं सकता है।

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