इस शरीर की शक्ल सिराए कविता में किस की कल्पना की गई है
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dkkdkxkzjjxjx
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hsjsgaksgsksksvsmaks
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इस शरीर की सकल शिराएं , कविता में कवि ने अपने शरीर की सकल शिराओं को मातृभूमि के विकास रूपी तार के रूप में देखने की कल्पना की है।
- कवि मैथिली शरण गुप्त एक राष्ट्र कवि है।
- उन्हें अपनी मातृभूमि से बहुत प्रेम है। वे अपने शरीर की शिराओं को इस देश की विकास की तार के रूप में देखना चाहते है।
- कवि कहते है कि गुलामी की जंजीरें बहुत पीड़ादायक होती है तथा स्वाधीनता प्रत्येक मनुष्य का धर्म है।
- वे लोगों को शोषण मुक्त करना चाहते हैं।
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