इस शताब्दी के एक महान भौतिकविद् (पी.ए.एम. डिरैक) प्रकृति के मूल स्थिरांकों (नियतांकों) के आंकिक मानों के साथ क्रीड़ा में आनंद लेते थे । इससे उन्होंने एक बहुत ही रोचक प्रेक्षण किया । परमाण्वीय भौतिकी के मूल नियतांकों (जैसे इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, प्रोटॉन का द्रव्यमान तथा गुरुत्वीय नियतांक G) से उन्हें पता लगा कि वे एक ऐसी संख्या पर पहुंच गए हैं जिसकी विमा समय की विमा है । साथ ही, यह एक बहुत ही बड़ी संख्या थी और इसका परिमाण विश्व की वर्तमान आकलित आयु (~1500 करोड़ वर्ष) के करीब है। इस पुस्तक में दी गई मूल नियतांकों की सारणी के आधार पर यह देखने का प्रयास कीजिए कि क्या आप भी यह संख्या (या और कोई अन्य रोचक संख्या जिसे आप सोच सकते हैं) बना सकते हैं? यदि विश्व की आयु तथा इस संख्या में समानता महत्वपूर्ण है तो मूल नियतांकों की स्थिरता किस प्रकार प्रभावित होगी?
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इस पुस्तक में दी गई मूल नियतांकों की सारणी के आधार पर विश्व की आयु की गणना।
Explanation:
t = ब्रह्मांड की आयु की विमा = [ T]
C = प्रकाश का वेग की विमा =[ LT-¹]
e = इलेक्ट्रॉन का आवेश की विमा= [ AT]
Me = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान की विमा = [ M]
Mp = प्रोटॉन का द्रव्यमान की विमा = [ M]
G = गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक की विमा =[ M-¹L³T-²]
मौलिक स्थिरांक के संदर्भ में ब्रह्मांड की आयु =
t = [e^2/(4π.ε0)]^2 × [1 / mp.me^2.c^3.G]
मान रखने पर
t = (1.6×10^-19)^4 × (9× 10^9)^2 / [(9.1×10^-31)^2 × (1.67×10^-27) × (3×10^8)^3 × (6.67×10^-11)]
= 6X10^9 साल
यदि चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है, तो पृथ्वी चंद्रमा की ओर गति क्यों नहीं करती?
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