Hindi, asked by gaurvmaheshwari, 11 months ago

इस्ती चदिए ज्ञान
ना मैं देवल ना में मसजिद, ना काबे कैलास में।
ना तो कौने क्रिया-कर्म में, नहीं योग बैराग में।
मोकों कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो तेरे पास में
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तालास में।
कहैं कबीर सुनो भई साधो, सब स्वाँसों को स्वाँस में।
ऊबीर ने ईश्वर-
बार नै ईश्वर
कबीर ने ज्ञान के
ज्ञान को आँधीब
भाव स्पष्ट कीजि
(क) हिति चित्त
(ख) आंधी पी
आँधी रे।
बना और अभि
12,
संतों भाई आई ग्याँन
भ्रम की टाटी सबै उड़ाँनी, माया रहै न बाँधी।।
हिति चित्त की द्वै यूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
त्रिस्नाँ छाँनि परि घर ऊपरि, कुबधि का भाँडाँ फूटा।।
जोग जुगति करि संतौं बाँधी, निरचू चुवै न पाँणी।
कूड़ कपट काया का निकस्या, हरि की गति जब जाँणी।।
आँधी पीछे जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भीना।
कहै कबीर भाँन के प्रगटे उदित भया तम खीना।।
सकलित साखियों
विचारों पर प्रकाश
भावा-अध्ययन
निम्नलिखित शब्द
पखापखी, अनत,..
explain this in hindii​

Answers

Answered by sunitakumawatdevi92
0

Answer:

sorry for the pain of being in a relationship and the way you doing this game has to

Answered by princessno129
1

Explanation:

क्रिया योग : अपनी जीवन ऊर्जा पर महारत पाने का मार्ग

हमारे जीवन के चार आयाम हैं - भाव, बुद्धि, शरीर और ऊर्जा। योग में जीवन के हर आयाम से जुड़ा एक मार्ग है - भावों से जुड़ा भक्ति योग, बुद्धि से जुड़ा ज्ञान योग, शरीर से जुड़ा कर्म योग, और जीवन ऊर्जा से जुड़ा क्रिया योग। क्या है क्रिया योग की विशेषताएं?

क्रिया योग : अपनी जीवन ऊर्जा पर महारत पाने का मार्ग

Article

Sep 26, 2015

हमारे जीवन के चार आयाम हैं - भाव, बुद्धि, शरीर और ऊर्जा। योग में जीवन के हर आयाम से जुड़ा एक मार्ग है - भावों से जुड़ा भक्ति योग, बुद्धि से जुड़ा ज्ञान योग, शरीर से जुड़ा कर्म योग, और जीवन ऊर्जा से जुड़ा क्रिया योग। क्या है क्रिया योग की विशेषताएं?

सद्‌गुरुक्रिया योग आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का एक बहुत शक्तिशाली तरीका है मगर साथ ही यह बहुत चुनौतीपूर्ण तरीका भी है। यह तरीका एक इंसान से बहुत ज्यादा अपेक्षाएं रखता है। आज के एक आधुनिक शिक्षित इंसान के लिए क्रिया योग अमानवीय होगा क्योंकि इसके लिए एक खास तरह का अनुशासन और हर चीज में एक खास स्तर की सटीकता चाहिए।

अगर हम आपको सिर्फ एक शारीरिक अभ्यास के रूप में क्रिया सिखाना चाहें, तो मैं इस पर एक किताब लिख सकता हूं और आप उसे पढ़ कर सीख सकते हैं। मगर यदि आप क्रिया को एक जीवंत प्रक्रिया बनाना चाहते हैं, अगर हम चाहते हैं कि क्रिया एक तरह से आपके सिस्टम में अंकित हो जाए, तो इसके लिए अनुशासन और समर्पण की जरूरत होती है।

ज्यादातर लोगों में आजकल क्रिया योग के मार्ग पर चलने के लिए उपयुक्त शरीर, मन या भावनाओं की स्थिरता नहीं होती। ऐसा इसलिए है क्योंकि बचपन से ही लोग बहुत ज्यादा आराम में रहे हैं। आराम का मतलब शारीरिक सुविधा नहीं है। किसी आरामदेह कुर्सी में बैठना कोई बाधा नहीं है। मगर आपके पूरा वजूद हमेशा आराम चाहता है - यह एक बड़ी बाधा है। अगर आप किसी ऐसी चीज पर बैठे हैं जो आरामदेह है तो उसका आनंद लीजिए - इसमें कोई समस्या नहीं है। मगर यदि आप लगातार आराम खोज रहे हैं, तो उस तरह का मन और भावना, क्रिया योग के मार्ग के लिए सही नहीं हैं। क्रिया योग को ऐसे लोगों के साथ नहीं किया जा सकता, जो लापरवाह हैं, जो लोग हर कहीं “आजादी” की बात करते हैं, “क्या मैं यह करने के लिए आजाद नहीं हूं, क्या मैं वह करने के लिए आजाद नहीं हूं, क्या मैं यह नहीं खा सकता, क्या मैं वहां नहीं सो सकता।”

अगर आप किसी को क्रिया के मार्ग पर ले जाते हैं, तो अगर मैं आपको पैर ऊपर और सिर नीचे करके सोने के लिए कहूं, तो आपको बिना कोई सवाल पूछे वैसे ही सोना चाहिए। क्योंकि वह कभी भी पूर्ण रूप से समझाया नहीं जा सकता। आप समय के साथ उसे समझ सकते हैं, मगर उसे समझाया कभी नहीं जा सकता। और अगर उसे समझाना पड़े, तो क्रिया का सार तत्व खो जाएगा। अगर लोग हर चीज के लिए मूर्खतापूर्ण तार्किक सवाल पूछना शुरू कर देंगे, तो क्रिया दी ही नहीं जा सकती

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