इस दोहे का अर्थ अपने शब्दों में लिखिए
whoever gives answer quick and correct I'm gonna mark them as brainliest
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विधाता ने इस जड़-चेतन विश्व को गुण-दोषमय रचा है, किन्तु संत रूपी हंस दोष रूपी जल को छोड़कर गुण रूपी दूध को ही ग्रहण करते हैं॥
HOPE IT HELPS:)
MARK AS BRAINLIEST PLEASE!♡
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