इस दोहे का अर्थ बताओ।
करत करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते,सिल पर परत निशा।।
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कवि वृंद इस दोहे के द्वारा यह कहना चाहते है कि अगर हम किसी काम को बार बार करने की कोसिस करते है तो वह काम जरूर पूरा होगा जैसे कि एक रस्सी कुएं के दीवार के ऊपर से आते जाते हुए उस दीवार पर निसान बना देती है।
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Ni aata..yarr
Sorryyy
kabhi dohee smj hi ni aaye
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